
उत्तराखंड सरकार ने शराब बिक्री को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे राज्य में धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति 2025 को मंजूरी दी गई, जिसमें यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.
नई नीति के अनुसार, धार्मिक स्थलों के पास स्थित शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे. यह कदम धार्मिक स्थलों के महत्व और जनता की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. हालांकि, 'धार्मिक स्थल' की परिभाषा और इनसे कितनी दूरी तक शराब की बिक्री प्रतिबंधित होगी, यह आगामी सरकारी आदेश में स्पष्ट किया जाएगा.
एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक्री पर सख्ती
नई नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई दुकान अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक मूल्य पर शराब बेचती है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है. यह नियम डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी लागू होगा, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.
सुप्रीम कोर्ट इसपर क्या कहता है?
आपको बता दें, शराब की दुकानों की धार्मिक स्थलों, हाईवे और स्कूलों से दूरी को लेकर आए दिन चर्चा चलती रहती है. सुप्रीम कोर्ट भी इसपर स्पष्ट दिशा-निर्देश दे चुका है. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बनी सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की बेंच ने शराब की दुकानों की दूरी को लेकर इसपर फैसला सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, हाईवे से 500 मीटर की दूरी पर शराब की दुकान खोली जा सकती है. छोटे कस्बों (20,000 से कम जनसंख्या) के लिए यह सीमा 220 मीटर है.
वहीं, धार्मिक स्थलों और स्कूलों से शराब की दुकानें 150 मीटर दूर होनी चाहिए.
क्या देशभर में लागू होगा उत्तराखंड मॉडल?
पहले भी कई राज्य सरकारें धार्मिक स्थलों और स्कूलों के पास शराब की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम बना चुकी हैं.
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल बन सकता है.