एक 35 वर्षीय महिला ने तब अपने 7 साल के बेटे और खुद को कोविड के डर से घर में तीन साल तक बंद रखा. हाल ही में महिला को रिलीज कराया गया. अब इस खबर के बाद से सबके मन में कई सवाल उठ रहे हैं. पुलिस ने महिला और उसके अब 10 साल के बेटे को मंगलवार को बचाया जब उसके पति ने इसकी शिकायत दर्ज की. महिला पति से अलग रह रही थी. अब सवाल ये है कि दोनों इतने साल तक बिना धूप या बाहरी संपर्क के कैसे जीवित रहे?
पुलिस तीन साल बाद बाल कल्याण टीम की मदद से महिला और उसके बेटे को घर से निकालने में कामयाब रही.
कैसे जीवित रहे?
गुरुग्राम की मारुति विहार कॉलोनी की रहने वाली 35 वर्षीय महिला ने अपने नाबालिग बेटे के साथ खुद को घर के अंदर बंद कर लिया था, इस डर से कि वो कोरोना के संपर्क में ना आ जाए. महिला ने 2020 से अपने पति को घर में घुसने तक नहीं दिया था. पति कई महीने अपनी दोस्त के घर रहा और फिर पास में ही किराए के फ्लैट में रहने लगा. वह वीडियो कॉल के जरिए अपनी पत्नी और बेटे के संपर्क में था. साथ ही वह हर महीने अपनी पत्नी के खाते में पैसे ट्रांसफर करता था. महिला ऑनलाइन सब्जी और घरेलू सामान मंगवाती थी. डिलीवरी बॉय पार्सल को दरवाजे पर ही छोड़ देता था. कई बार पति घर का सामान लाकर दरवाजे पर रख देता था. इसके बाद वह मास्क पहनकर सामान उठाती थीं और उन्हें सैनिटाइज करती थीं. महिला घर के बाहर कूड़ा फेंकने भी नहीं जाती थी. जब पुलिस उसके घर में घुसी तो उसे कूड़े का ढ़ेर मिला.
एलपीजी सिलेंडर की जगह इंडक्शन चूल्हे का इस्तेमाल किया
एलपीजी सिलेंडर खत्म होने के बाद महिला इंडक्शन चूल्हे पर खाना बनाने लगी. उसने गैस सिलेंडर का ऑर्डर देना बंद कर दिया क्योंकि उसे विश्वास था कि उसे उन लोगों से कोविड-19 हो जाएगा जो सिलेंडर देने आएंगे. वह पिछले तीन सालों से इंडक्शन चूल्हे का इस्तेमाल कर रही है.
3 साल में बच्चा स्कूल नहीं गया
गुरुग्राम की महिला ने अपने बच्चे को स्कूल जाने और पढ़ने भी नहीं दिया. बच्चा पिछले तीन साल से ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहा था और ऑनलाइन ट्यूशन ले रहा था. महिला का पति उसे जो महीने के पैसे भेजता था, उसी से मां बच्चे की फीस भरती थी.किराए के फ्लैट में रह रहे पति ने वीडियो कॉल पर पत्नी को घर से बाहर निकलने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी. महिला ने अपने पति से कहा कि वह तभी घर से निकलेगी जब उसके बच्चे को टीका लग जाएगा.
महिला के पिता भी उसे नहीं मना सके
पत्नी के व्यवहार से परेशान होकर महिला के पति ने अपने ससुर को फोन कर दिया. महिला के पिता ने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की और उसे समझाया कि कोविड-19 महामारी लगभग खत्म हो गई है और कोई खतरा नहीं है. हालांकि, वह नहीं मानी और घर में बंद रही.
पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा
तीन साल तक यही सब चलता रहा तो आखिरकार पति का सब्र टूट गया. उसने 17 फरवरी को पुलिस से मदद मांगी. पेशे से इंजीनियर पति ने पुलिस को बताया कि काम पर जाने के बाद से उसकी पत्नी ने उसे घर में घुसने नहीं दिया.अनोखा मामला सुनने के बाद एएसआई को यकीन ही नहीं हुआ. हालांकि, जब पति ने अपनी पत्नी और बेटे से वीडियो कॉल पर बात करवाई तो उन्हें यकीन हो गया.
3 साल बाद घर से निकली महिला
महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ एएसआई महिला के घर पहुंचे, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. अपील करने पर महिला ने आत्महत्या करने की धमकी भी दी. इसके बाद टीम वापस चली गई और एक दिन बाद ही वापस आ गई. टीम ने दरवाजा तोड़कर मंगलवार को महिला और उसके बच्चे को बाहर निकाला.
एएसआई प्रवीण कुमार ने बताया कि महिला के बेटे ने पिछले तीन साल में सूरज देखा तक नहीं था. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के डर से उन तीन सालों में उन्होंने एलपीजी तक का इस्तेमाल नहीं किया था. महिला जिस घर में रह रही थी वहां इतनी गंदगी और कचरा जमा हो गया था कि अगर कुछ दिन और बीत जाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी. हालांकि, सावधानी के साथ महिला और उसके बेटे को मौके से बचा लिया गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
मानसिक बीमारी से पीड़ित है महिला
जिस अस्पताल में महिला को भर्ती कराया गया था, वहां के एक डॉक्टर वीरेंद्र यादव ने उसकी काउंसलिंग की और उसे बताया कि अब कोविड-19 महामारी खत्म हो गई है. लेकिन महिला मानने को तैयार नहीं थी. डॉक्टर के मुताबिक महिला मानसिक रोग से पीड़ित है. उसे इलाज के लिए पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया गया है और वह मनोरोग वार्ड में भर्ती है. हालांकि, तीन साल बाद अपनी पत्नी और बेटे को घर से बाहर पाकर पति खुश है और राहत महसूस कर रहा है. उसने पुलिस को धन्यवाद दिया.
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