देश के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. चुनाव आयोग ने बुधवार को बताया कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आगामी 6 अगस्त को होंगे. उपराष्ट्रपति चुनाव राष्ट्रपति के इलेक्शन से काफी अलग होता है. राष्ट्रपति चुनाव में पूरे देश के निर्वाचित सांसद और विधायक हिस्सा लेते है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं होता.
ऐसे होता है उपराष्ट्रपति चुनाव
उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही शामिल हो सकते हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं और अपना केवल एक ही वोट डाल सकते हैं. बता दें कि लोक सभा में कुल 545 और राज्यसभा में कुल 245 वोटर हैं. जिनके वोट से देश का उपराष्ट्रपति का चयन होता है.
कितना अलग है राष्ट्रपति चुनाव से
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव काफी अंतर है. राष्ट्रपति चुनाव में देश के सभी सांसद और विधायक शामिल होते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही सामिल हो सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार खुद वोटिंग नहीं कर सकते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार स्वयं वोट कर सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक वोट का मूल्य अंक गणना पर आधारित होता है. एक राज्य के विधायक को वोट दूसरे राज्य के विधायक से अलग होता है. वहीं एक सांसद को वोट की कीमत भी अलग होती है, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक मतदाता का मूल्य एक होता है. राष्ट्रपति चुनाव में कम से कम 50 मतदाता प्रस्तावक और 50 वोटर समर्थक के रूप में होने चाहिए, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में कम से कम 20 मतदाता प्रस्तावक और कम से कम 20 वोटर समर्थक के रूप में होने चाहिए.
चुनाव प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव बैलेट पेपर से होता है. इन बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों का नाम होता है. इन बैलेट पेपर पर कोई इलेक्शन का चिन्ह नहीं होता है. इस बैलेट पेपर में दो कॉलम होते है. बैलेट पेपर के कॉलम 1 में उम्मीदवार का नाम शीर्षक होगा और कॉलम 2 में वरीयता का मार्क ऑर्डर होता है. वोटर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या के रूप में चिह्नित कर सकता है. उम्मीदवारों के नाम के सामने 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह अंक अंकित करके चिह्नित किया जाता है.
मतगणना प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव में पहले यह देखा जाता है कि उम्मीदवारों को प्राथमिकता वाले वोट कितने मिले हैं. उसके बाद उम्मीदवारों के मिले प्राथमिकता वाले वोट को जोड़ दिया जाता है. इसके बाग कुल संख्या को 2 से भाग दे देते है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे कोटा माना जाता है जिसे उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए जरूरी होता है. अगर किसी उम्मीदवार ने जरूरी कोटे के बराबर या इससे ज्यादा वोट हसिल कर लिया हो तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो काउंटिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को बाहर न हो जाए. जब तक किसी एक उम्मीदवार को मिलने वाले वोटों की संख्या कोटे के बराबर न हो जाए तब तक काउंटिंग जारी रहती है.
उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां
उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां काफी सीमित है. राष्ट्रपति के बाद देश का सबसे दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है. उपराष्ट्रपति राज्या सभा के पदेन सभापति होते है. वहीं अगर राष्ट्रपति का पद किसी कारण खाली हो जाता है तो यह जिम्मेदारी उप राष्ट्रपति को ही निभानी पड़ती है. क्योकि राष्ट्रप्रमुख के पद को खाली नहीं रखा जा सकता है.
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए योग्यता
उपराष्ट्रपति के पद पर चुनाव लड़ने के उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए. इसके साथ ही उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष की आयू को पूरा कर चुका हो. वहीं उपराष्ट्रपति के पद का उम्मीदवार राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए योग्यता रखता हो. इसके साथ ही वह निर्वाचन के दौरान भारत सरकार या राज्य सरकार या फिर किसी पद पर नियुक्त न हो.