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Firecracker ban in Delhi: कहीं चोरी छिपे बिक रहे पटाखे, तो कहीं बड़े पटाखों की जगह छोटे पटाखों ने ली.... दिवाली से पहले दिल्ली में क्या है पटाखे बैन का हाल?

बीच बाजार में भी कई जगहों पर चुटपुटी पटाखे बिकते दिखाई पड़े तो कई जगहों पर छोटी फुलझड़ियां दिखाई पड़ीं. जब दुकानदारों से प्रतिबंध के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इन पटाखों पर किसी तरह के बैन की जानकारी नहीं है. एक दुकानदार के पास कोल्ड फायर कैप्सूल थे.

सदर बाजार का रिएलिटी चेक (Photo/Ashutosh Mishra) सदर बाजार का रिएलिटी चेक (Photo/Ashutosh Mishra)

हर साल की तरह इस साल भी दीपावली से पहले दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर बैन लगाया गया है.‌ वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए इस साल भी बाजार में पटाखे नहीं बिक पाएंगे. गुजरे सालों में भी पटाखों पर बैन लगा रहा है, हालांकि इसके बावजूद दीपावली के दिन पटाखे फोड़े गए हैं. जिसका असर हवा की गुणवत्ता पर दिखाई दिया है.

इस साल भी पटाखों पर बैन लगाया गया है लेकिन इस बैन का जमीन पर असर देखने को नहीं मिला है. आजतक की ओर से की गई एक पड़ताल में सामने आया है कि बैन के बावजूद कई तरह के पटाखे धड़ल्ले से बिक रहे हैं. आजतक ने अपनी पड़ताल के दौरान दिल्ली के सदर बाजार का दौरा किया. पुरानी दिल्ली का यह बाजार दिल्ली के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. दीपावली से पहले हजारों की भीड़ सजावट का सामान लेने बाजार पहुंची थी. 

बाजार में क्या मिला
जब आजतक ने सदर बाजार में एक दुकान का मुआयना किया तो वहां अनार, बड़ी फुलझडियां या धमाके वाले पारंपरिक पटाखे नहीं मिले. हालांकि वहां बच्चों की बंदूकों में डलने वाले छोटे पटाखे मौजूद थे. पूछे जाने पर दुकानदार ने बताया कि उसके यहां ज्यादातर पटाखे छोटे-मोटे हैं. और बच्चों के इस्तेमाल के लिए हैं. 

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बीच बाजार में भी कई जगहों पर चुटपुटी पटाखे बिकते दिखाई पड़े तो कई जगहों पर छोटी फुलझड़ियां दिखाई पड़ीं. जब दुकानदारों से प्रतिबंध के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इन पटाखों पर किसी तरह के बैन की जानकारी नहीं है. एक दुकानदार के पास कोल्ड फायर कैप्सूल थे. उसने कहा कि इसका इस्तेमाल शादियों में इलेक्ट्रिक बंदूक में रखकर किया जाता है. 

"कंपनी बना रही है, हम बेच रहे हैं..."
छोटे पटाखे बेच रहे कुछ दुकानदारों ने कहा कि ये बच्चों के लिए हैं. वहीं बाजार में चोरी छुपे कुछ लोग फुलझड़ियां बेचते भी नजर आए जो जहरीले धुएं के लिए जिम्मेदार हैं. कुछ दुकानदारों ने कैमरा देखकर अपनी दुकान के पटाखे छिपा भी लिए. एक दुकानदार ने कहा कि उसके पास पटाखों के सिर्फ चार डब्बे ही बचे हैं. एक ने तो यहां तक कह दिया कि इन पटाखों पर बैन है लेकिन "कंपनी बना रही है तो हम बेच रहे हैं!"

चोरी छुपे इस इलाके में पटाखे बेचे जाने की बात लोगों ने कबूली लेकिन खुले बाजार में ज्यादातर प्रतिबंधित पटाखे नदारद रहे. हालांकि पिछले सालों में भी पटाखे पर प्रतिबंध होने के बावजूद दिवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई है. जिसका सीधा असर अगले दिन वायु गुणवत्ता पर दिखाई दिया है. बाजारों में पटाखे भले नहीं बिक रहे हैं, लेकिन प्रतिबंध कितना कारगर है यह दिवाली की रात ही पता चलेगा.