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ह्ययूमन मिल्क बैंक से बच्चों को मिल रहा मां का दूध, अब तक बचा चुके हैं हजारों नवजात शिशुओं की जान

कई ऐसी माएं होती हैं जो बच्चे की डिलीवरी के बाद उसे ठीक तरह से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती, इससे बच्चे को वो पोषक तत्व नहीं मिल पाते जो उसे मिलने चाहिए. अमारा मिल्क बैंक दिल्ली एनसीआर का पहला मिल्क बैंक है जिसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी. इसकी अब कई शाखाएं हैं.

दूध को स्टोर करती अमारा मिल्क बैंक की वर्कर दूध को स्टोर करती अमारा मिल्क बैंक की वर्कर
हाइलाइट्स
  • करीब 6 हज़ार बच्चों की बचाई जा चुकी है जान

  • मां का दूध बच्चों के लिए बहुत जरूरी 

  • सुरक्षा और साफ-सफाई का रखा जाता है पूरा ख्याल 

एक ओर दुनिया सारी
एक ओर है मां की ममता
है स्नेह अगाध से भरा हृदय
गजब है सहने की क्षमता
एक ओर दुनिया सारी
एक ओर है मां की ममता…

वैसे तो मां की ममता शाब्दिक बंधनों से परे है इसलिए प्रकृति ने मां और बच्चे के बंधन को एक ऐसी डोर से बांधा है जो निश्छल है, पवित्र है और ममता का प्रतीक है. और वो डोर, मातृत्व का श्रृंगार करने वाला मां को दूध है. लेकिन ऐसी कई माएं हैं जिनको ये सौभाग्य प्राप्त नहीं होता और ऐसे में यह नवजात शिशु के लिए जान का खतरा बन सकता है. आज तक आपने ब्लड बैंक के बारे में सुना होगा, पैसों के लेने देन वाले बैंक के बारे में सुना होगा, लोन बैंक के बारे में सुना होगा  लेकिन आज हम आपको ऐसे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जो जरूरतमंद नवजात शिशुओ कों मां का दूध उपलब्ध कराता है. इस बैंक का नाम अमारा मिल्क बैंक है.

करीब 6 हज़ार बच्चों की बचाई जा चुकी है जान

अमारा मिल्क बैंक दिल्ली एनसीआर का पहला मिल्क बैंक है जिसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी. इसकी अब कई शाखाएं हैं. कई ऐसी माएं होती हैं जो बच्चे की डिलीवरी के बाद उसे ठीक तरह से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती, इससे बच्चे को वो पोषक तत्व नहीं मिल पाते जो उसे मिलने चाहिए और वो पैदा होते ही कमजोर होने के साथ-साथ बीमार भी पड़ जाता है. कई बार प्रिमैच्योर बेबी की मां पर्याप्त दूध देने में असमर्थ हो जाती है और कई बार विभिन्न कारणों से शिशुओं को माताओं से अलग कर दिया जाता है. ऐसे में बच्चों को मां का दूध नहीं मिल पाता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन और फोर्टिस ला फेम ने ह्यूमन मिल्क बैंक की शुरुआत की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमारा मिल्क बैंक अभी तक करीब 5 से 6 हज़ार बच्चों की जान बचा चुका है. 

मां का दूध बच्चों के लिए बहुत जरूरी 

इस केंद्र में दो तरह की महिलाएं दूध दान करती हैं. पहली स्वेच्छा से और दूसरी वे माताएं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं. जिनके बच्चे दूध नहीं पीते अगर उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है. उनके लिए दूध दान का करना अच्छा विकल्प है. अमारा मिल्क बैंक के को-फाउंडर डॉ. रघुराम मलाया का कहना है कि मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में आयरन को बांध लेता है और आयरन के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते. मां के दूध से जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से कंपटीशन कर उन्हें पनपने नहीं देते. मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं. इसलिए मां का दूध बच्‍चों के लिए काफी लाभदायक है. लेकिन में कई बार मां का दूध न मिलने से बच्‍चों की जान पर बन आती है. 

सुरक्षा और साफ-सफाई का रखा जाता है पूरा ख्याल 

सबसे पहले मदर मिल्क बैंक में दूध डोनेट करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाती है. इस जांच में यह पता लगाया जाता है कि कहीं दूध डोनेट करने वाली महिला को किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं है. इसके बाद छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है. लेकिन इसकी डिमांड इतनी होती है कि 10 से 15 दिनों में ही इसका स्टॉक खत्म हो जाता है. ह्यूमन मिल्क बैंक में एक पाश्चराइजेशन यूनिट, रेफ्रीजिरेटर, डीप फ्रीजर, आरओ प्लांट, स्टेरलाइजिंग उपकरण और कंप्यूटर शामिल हैं. डोनेटेड मिल्क को इस बैंक में पूरी तरह से रेफ्रिजरेट किया जाता है और फिर प्रोसेस​ किया जाता है.

अमारा मिल्क बैंक के ​जरिए कई मासूम जिंदगियां बचाई जा चु​की हैं. वो सभी माएं जो मिल्क डोनेट कर रही हैं उन्होंने साबित कर दिया है कि मां की ममता समंदर सी गहरी और आसमां से भी अनंत है.