हैदराबाद में आदिलाबाद जिले का एक गांव मुकरा के, अब दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल बन गया है. फंड्स के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय, इस गांव ने अपने दम पर पैसा कमाने का एक तरीका खोज है और इस पैसे से गांव के लोग कम से कम स्ट्रीट लाइट के बिजली बिलों का भुगतान कर पा रहे हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुकरा के अपने दम पर बिजली पैदा करने वाला राज्य का पहला गांव है. ग्राम पंचायत ने हाल ही में दो सौर पैनल खरीदे और उन्हें राज्य ग्रिड के साथ एकीकृत किया. सोलर पैनल 6 किलोवाट बिजली उत्पन्न करते हैं जो स्ट्रीट लैंप के लिए पर्याप्त से अधिक है.
हर महीने बच रहे 10 हजार रुपए
गांव की सरपंच गाडगे मीनाक्षी का कहना है कि उन्होंने सौर पैनल 4 लाख रुपये में खरीदे थे. इनसे बनने वाली बिजली का उपयोग जल संयंत्र, स्कूल, आंगनबाडी केंद्र और ग्राम पंचायत भवन में भी किया जाता है. इस प्रक्रिया में गांव को हर महीने 10,000 रुपये की बचत हो रही है.
सोलर सिस्टम से उत्पन्न 6 किलोवाट में से केवल 4 किलोवाट का उपयोग गांव में विभिन्न सार्वजनिक स्थानों को बिजली देने के लिए किया जाता है. बाकी बची 2 किलोवाट को राज्य ग्रिड को भेजा जाता है, जिससे पंचायत को हर महीने अतिरिक्त 5,000 रुपये की कमाई होती है.
वर्मीकम्पोस्ट पहल
अब सवाल है कि ग्राम पंचायत ने सौर पैनल कैसे खरीदे? आपको बता दें कि ग्राम पंचायत ने गांव में पैदा हुए कचरे से पहले वर्मी कम्पोस्ट बनाई और इस बेचकर मिले पैसों से सोलर पैनल खरीदे. राज्यसभा सांसद जे संतोष कुमार ने हाल ही में गांव के दौरे पर एक हजार रुपये में 50 किलो की एक बोरी वर्मीकम्पोस्ट खरीदी थी.
दिसंबर 2020 से अक्टूबर 2022 तक, गांव ने निवासियों के सूखे कचरे से बने वर्मीकम्पोस्ट को बेचकर 7 लाख रुपये का लाभ कमाया गया है. इस पहल के लिए, ग्राम पंचायत को दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हरियाली में सुधार और राज्य सरकार की हरिता हरम पहल के तहत लगाए गए सभी पौधों को जीवित रखने के लिए ग्राम प्रशासन के प्रयासों की सराहना की.