scorecardresearch

Exclusive: CS, LLB करने के बाद बनीं IAS अफसर, अपने कामों से बदली हजारों महिलाओं की जिंदगी, UPSC प्रतिभागियों के लिए बनी प्रेरणा

यह कहानी है IAS सोनल गोयल की, जो न सिर्फ अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से कर रही हैं बल्कि अपने स्तर पर भी समाज के लिए काम कर रही हैं. सोनल गोयल की पहलों का असर जमीनी स्तर पर दिख रहा है और इसलिए आज वह हर एक युवा के लिए प्रेरणा हैं.

IAS Sonal Goel IAS Sonal Goel
हाइलाइट्स
  • CS, L.L.B क्वालीफाइड सोनल बनीं IAS

  • फेलियर के बाद मिली सफलता

  • सोशल मीडिया का सही उपयोग

IAS Sonal Goyal: कहते हैं कि जो सपने देखते हैं, उनमें सपनों को पूरा करने का जुनून भी होता है और वे हर मुश्किल पार करके अपने सपनों को पूरा करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है IAS अफसर सोनल गोयल की, जो फिलहाल दिल्ली में त्रिपुरा भवन में रेजिडेंट कमिश्नर के तौर पर तैनात हैं. ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करने वाली यह अधिकारी अपने सोशल वर्क के लिए भी अक्सर चर्चा में रहती हैं. 

GNT Digital से बात करते हुए, IAS सोनल ने बताया कि कभी वह CS बनना चाहती थीं लेकिन फिर सिविल सर्विस जॉइन करना उनका लक्ष्य बन गया. कई मुश्किलें पार करके उन्होंने अपने सपने को पूरा किया और ड्यूटी जॉइन करने के बाद से वह लगातार लोगों की भलाई और उत्थान के लिए काम कर रही हैं. 

CS, L.L.B क्वालीफाइड सोनल बनीं IAS
सोनल गोयल ने बताया कि उनका परिवार हरियाणा का रहने वाला है लेकिन उनकी परवरिश दिल्ली में हुई. सोनल के पिता CA हैं और उनकी बहन भी सीए की पढ़ाई कर रही थीं. परिवार में कॉमर्स का बैकग्राउंड इतना था कि सोनल ने पहले कॉमर्स में ग्रेजुएशन की और फिर CS की पढ़ाई पूरी की. हालांकि, उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन के आखिरी साल में उन्हें सिविल सर्विसेज के बारे में पता चला. 

आईएएस सोनल गोयल

उन्होंने कहा, "जब मैंने घर में बताया कि मैं UPSC की तैयारी करना चाहती हूं तो परिवार वाले हैरान थे. क्योंकि उन्हें लग रहा था कि UPSC में सफलता की कोई गांरटी नहीं है और अगर एग्जाम क्लियर हो भी गया तो जॉब में हमेशा पोस्टिंग होती रहेंगी तो सेटल्ड फील्ड नहीं है. लेकिन मैं इस बात पर डटी रही कि मुझे तैयारी करनी है. आखिर में, पापा ने परमिशन दी लेकिन साथ ही अपना बैकअप प्लान भी तैयार रखने के लिए कहा." 

सोनल ने साल 2003 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के मशहूर कॉलेज, SRCC से ग्रेजुएशन पूरी की और फिर साल 2004 में उनका CS क्वालिफाई हो गया. इसके बाद उन्होंने LLB में दाखिला लिया और एक CS फर्म में पार्ट-टाइम जॉब करने लगीं. पढ़ाई और जॉब के साथ सोनल ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की. उन्होंने बताया, "यह आसान नहीं था लेकिन सही टाइम-मैनेजमेंट से मुमकिन था."

फेलियर के बाद मिली सफलता
IAS सोनल गोयल ने बताया कि उन्होंने साल 2006 में पहला अटेम्प्ट दिया था जिसमें उन्होंने प्री और मेन्स एग्जाम क्लियर किया लेकिन इंटरव्यू क्वालिफाई नहीं कर पाईं. यह उनके जीवन की पहली असफलता थी जिससे उन्हें काफी निराशा हुई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. क्योंकि उन्हें खुद को साबित करना था. सिविल सर्विसेज का फैसला उनका अपना था और वह इसमें हार नहीं सकती थीं. इसलिए सोनल ने दोबारा मेहनत की और परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की. वह साल 2008 बैच की आईएएस हैं. 

बच्चों के साथ सोनल गोयल

ट्रेनिंग के बाद उन्हें त्रिपुरा कैडर मिला. यहां पर वह अंबासा जिले में पहुंची तो उन्होंने देखा कि यह आदिवासी इलाका है और कनेक्टिविटी जैसी कई समस्याओं से घिरा हुआ है. सोनल ने लोगों से सीधा जुड़कर उनकी तरक्की के लिए काम किया. त्रिपुरा में उन्होंने महिलाओं और समुदाय की तरक्की के लिए जो काम किया उसकी हर तरफ चर्चा होती है. उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए 'नंदिनी' अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना था. अप्रैल 2014 में इसे शुरू किया गया था. इस प्रोग्राम के तहत कुछ महत्वपूर्ण काम हुऐ जैसे, 

  1. क्रेच की स्थापना
  2. लड़कियों और उनके माता-पिता को समर्पित एक पार्क
  3. एक उद्देश्य के साथ त्यौहार मनाना 
  4. प्रोजेक्ट्स को स्ट्रीमलाइन करना
  5. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने आशा वर्कर्स (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं) को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है कि वे घरेलू हिंसा को कैसे रोक सकती हैं.
  6. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना
  7. महिला मतदान केंद्र
  8. नंदिनी सम्मान पुरस्कार

जनगणना 2011 में दर्शाए गए तुलनात्मक रूप से कम लिंगानुपात के कारण, गोमती जिला भारत सरकार के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध 100 जिलों के दायरे में आ गया और इसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत राज्य और केंद्र सरकार ने अपनाया. इस पहल का नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर की पुस्तक रक्तकारबी में एक महिला पात्र के नाम पर नंदिनी रखा गया है, जो स्वतंत्रता के लिए लड़ती है. 

त्रिपुरा में किया बेहतरीन काम

सोशल मीडिया का सही उपयोग 
अपनी ड्यूटी के साथ-साथ IAS सोनल गोयल सामाजिक कामों से भी जुड़ी हुई हैं. अगल-अलग संगठनों के साथ मिलकर वह समाज सेवा कर रही हैं. एक NGO, सर्व हितम् मानव सेवा संस्थान के साथ मिलकर वह इस कोशिश में जुटी हैं कि दुनिया में सकारात्मक बदलाव आ सकें. यह संस्थान सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग पर काम कर रहा है. 

सेल्फ-डिफेंस के अलावा, यह संस्थान शिक्षा और पर्यावरण पर भी काम कर रहा है. NGOs के साथ जुड़ने के अलावा, सोनल गोयल अपने निजी स्तर पर भी कुछ ऐसी पहल करती हैं जो देश-दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ें. जैसे उन्होंने महिला दिवस के मौके पर इंस्टाग्राम के जरिए एक सीरिज #WomenWhoInspire शुरू की और इसमें साधारण महिलाओं के जज़्बे की असाधारण कहानियां लोगों तक पहुंचाई. 

पीएम मोदी के साथ सोनल गोयल

इसके अलावा, वह सोशल मीडिया के जरिए लगातार युवाओं से जुड़कर उनका सिविल सर्विसेज की परीक्षा के लिए मार्गदर्शन करती हैं. सोशल मीडिया पर वह UPSC छात्रों के लिए कई लाइव सेशन कर चुकी हैं. इस सेशन में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की है जैसे परीक्षा की तैयारी, खुद पर विश्वास, सस्टेनेबिलिटी, यूपीएससी की तैयारी में प्लान बी का महत्व, लीडरशिप रोल में महिलाएं आदि. 

आखिर में, IAS सोनल सिर्फ यही कहती हैं कि अगर आप पूरे दिल से कुछ करना चाहते हैं तो कोई परेशानी आपको नहीं रोक सकती है. आप अपने सपने पूरा कर सकते हैं और साथ ही, समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.