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Technical Textile: क्या होती है टेक्निकल टेक्सटाइल, जिसे आगे बढ़ा रही है सरकार, ताकि भारत बन सके विकसित देश

Technical Textile Importance: भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार दिन-रात काम कर रही है. इसके लिए National Technical Textile Mission की शुरुआत की गई है.

Technical Textile Technical Textile
हाइलाइट्स
  • 5Fs पर करना होगा काम 

  • चुनौतियों का निकालना होगा समाधान

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन और आईआईटी दिल्ली ने 10 से 12 फरवरी, 2023 के लिए आईआईटी दिल्ली में, Funtional Textiles and Clothing Conference (FTC) पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की. इस कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह के दौरान टेक्निकल टेक्सटाइल के महत्व और इससे जुड़ें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. इस मौके पर, टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेटरी, राजीव सक्सेना ने भारत सरकार के National Technical Textile Mission के बारे में बात की. 

सबसे पहले राजीव सक्सेना ने टेक्निकल टेक्सटाइल के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में टेक्निकल टेक्सटाइल देश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान देगी. केंद्र सरकार का लक्ष्य भारत को 2047 तक विकसित देशों की सूची में शामिल करना है. और यह लक्ष्य बिना टेक्सटाइल सेक्टर को आगे बढ़ाए पूरा नहीं हो सकता है. 

क्या है टेक्निकल टेक्सटाइल 
आपको बता दें कि तकनीकी वस्त्र या टेक्निकल टेक्सटाइल, एक निश्चित फंक्शनलिटी वाले इंजीनियर्ड उत्पाद हैं. इन्हें प्राकृतिक के साथ-साथ मानव निर्मित फाइबर जैसे नोमेक्स, केवलर, स्पैन्डेक्स, ट्वरॉन का उपयोग करके बनाया जाता है. इनकी फंक्शनल प्रोपर्टीज जैसे उच्च दृढ़ता, एक्सीलेंट इन्सुलेशन, बेहतर थर्मल रेज़िस्टेंस आदि होती हैं.  

टेक्निकल टेक्सटाइल का प्रयोग सामान्य और पारंपरिक कपड़ा उद्योग में न होकर स्पेशल सेक्टर जैस स्वास्थ्य सेवा, निर्माण, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, खेल, रक्षा, कृषि आदि में होता है.

टेक्निकल टेक्सटाइल को 12 सेगमेंट्स में बांटा गया है जैसे:

  • एग्रोटेक (एग्रीकल्चर टेक्सटाइल)- शेडनेट्स, फिशिंग नेट्स, मल्च मैट्स, आंट हेल नेट्स
  • बिल्डटेक (कंस्ट्रक्शन टेक्सटाइल)- कॉटन कवर्स, तिरपाल, फ्लोर-वॉल कवरिंग्स, कैनॉपीज़
  • क्लॉथटेक (क्लोदिंग टेक्सटाइल)-जिपफास्टनर्स, गारमेंट्स, अंब्रेला क्लोथ, शूलेस
  • जियोटेक (जियो टेक्सटाइल्स)- जियोग्रिड्स, जियोनेट्स
  • होमटेक (होम टेक्सटाइल्स)- गद्दों और तकियों की फिलिंग, स्टफ्ड टॉय, ब्लाइंड्स, कारपेट
  • इंडटेक (औद्योगिक टेक्सटाइल्स)-कनवेयर बेल्ट्स, सीट बेल्ट्स, बोल्टिंग क्लोथ
  • मेडिटेक (मेडिकल टेक्सटाइल्स)- डायपर्स, सैनिटरी नैपकिन, डिस्पोजेबल्स, कॉन्टैक्ट लेंस, आर्टीफिशियल इंप्लांट आदि.
  • मोबिलटेक (ऑटोमोटिव टेक्सटाइल्स)- एयरबैग्स, हेलमेट्स, नायलॉन टायर कॉर्ड्स, एयरलाइन डिस्पोजेबल्स
  • पैकटेक (पैकेजिंग कपड़ा)- रैपिंग फैब्रिक्स, पोल्योलेफिन वोवेन सैक, लेनो बैग्स, जूट सैक
  • ओयकोटेक: रिसायक्लिंग, वेस्ट डिस्पोजेबल, एनवायरमेंट प्रोटेक्शन 
  • प्रोटेक (प्रोटेक्शन टेक्सटाइल)- बुलेट प्रूफ जैकेट, फायर रिटारडेंट एप्रेल्स, हाई विजिबिलिटी क्लोदिंग
  • स्पोर्टेक (स्पोर्ट्स टेक्सटाइल्स)- स्पोर्ट्स नेट, आर्टीफिशियल टर्फ, पैराशूट फैब्रिक्स, टेंट्स, स्विमवियर

5Fs पर करना होगा काम 
राजीव सक्सेना ने कॉन्फ्रेंस में बताया कि टेक्निकल टेक्सटाइल में मजबूती आने पर देश को मजबूती मिलेगी. क्योंकि टेक्निकल टेक्सटाइस में आत्मनिर्भरता भारत की इकॉनोमी को बूस्ट करने में मददगार है. फिलहाल, ज्यादातर टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए भारत इंपोर्ट पर निर्भर है. लेकिन अगर देश में टेक्निकल टेक्सटाइल का निर्माण बड़े स्तर पर हो और इसका कमर्शियलाइजेशन किया जा सके तो इससे देश की आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. 

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी टेक्सटाइल इंडस्ट्री में 5 Fs को बढ़ावा देना चाहते हैं- Farm to Fibre to Fabric to Fashion to Foreign. अगर भारत इन 5 Fs को हासिल कर लेता है तो देश के टेक्सटाइल सेक्टर में क्रांति आ जाएगी. वहीं, आयोजन उद्योग के सह-अध्यक्ष और वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन के वाइस चांसलर प्रो संजय गुप्ता ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री समग्र रूप से एक बहुमुखी मशीनरी है जिसमें वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू शामिल हैं और भारत के लिए सकल घरेलू उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा है. हालांकि, इस क्षेत्र में बहुत सी चुनौतियां हैं जिनको हल किए बिना आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है.

चुनौतियों का निकालना होगा समाधान 
टेक्निकल टेक्सटाइल के मिशन के बारे में आगे बात करते हुए राजीव सक्सेना ने GNT Digital को बताया कि इस क्षेत्र में कई बड़ी समस्याएं हैं. सबसे पहली परेशानी पर बात करें तो यह है मशीनरी की कमी. दरअसल, कॉटन इंडस्ट्री को छोड़कर भारत में किसी अन्य इंडस्ट्री के लिए सही मशीनरी उपलब्ध नहीं है. इस कारण भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल का बड़े लेवल पर उत्पादन एक चुनौती है. 

दूसरी परेशानी है इसके बारे में लोगों के बीच जागरुकता न होना. बहुत से लोगों को नहीं पता है कि टेक्निकल टेक्सटाइल क्या है और इससे हमारे देश को क्या फायदा है. लोगों के बीच इस बारे में जागरुकता सबसे ज्यादा जरूरी है. 

और तीसरी सबसे बड़ी जरूरत है कि लोगों को इस क्षेत्र में स्किल ट्रेनिंग दी जाए. इसके लिए राजीव सक्सेना का कहना है कि मशीनरी और स्किल ट्रेनिंग के संदर्भ में सरकार की नजरें IITs जैसे संस्थानों, स्टार्टअप्स और इंडस्ट्रीज पर है. बिना एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स और इंडस्ट्रीज की मदद से भारत टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में उन्नति नहीं पा सकता है.