पाकिस्तान की सत्ता में बहुत बड़ा बदलाव हुआ है. शनिवार देर रात को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. और 174 सांसदों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया. जिसके बाद इमरान खान को पाकिस्तान के पीएम पद से हटा दिया गया.
अब पाकिस्तान की बागडोर शहबाज शरीफ के हाथों नें जा रही है जो पाकिस्तान के पुर्व- प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं. सवाल यह है कि पाकिस्तान की सत्ता में यह बदलाव भारत के लिए कैसा होगा? पाकिस्तान में यह पहली बार है कि एक मौजूदा प्रधानमंत्री को इस तरह हटाया गया हो.
इमरान खान के पतन का कारण
बात अगर इमरान खान के राजनीतिक करियर की करें तो उनकी बैकग्राउंड राजनीति से नहीं है. वह मुख्यधारा की पार्टियों- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) या पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से संबंधित नहीं थे. पर फिर भी सत्ता मे आ गए. उन्होंने जनता से बहुत से वादे किए, लेकिन वैसा काम नहीं कर सके. जिस कारण उनकी पॉप्युलैरिटी कम होती गई.
इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले उनका रूस का दौरा भी पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए अच्छा नहीं रहा. हालांकि, पिछले कुछ समय से इमरान लगातार भारत की नीतियों की तारीफ कर रहे था लेकिन उनका सत्ता से जाना शायद भारत-पाक के रिश्तों को संवार सकता है.
खुल सकता है भारत-पाक के बीच बातचीत का रास्ता
इमरान के बाद शहबाज शरीफ सत्ता में आएंगे. चार साल बाद शरीफ परिवार की पाकिस्तान की सत्ता में वापसी होगी. इमरान खान को बाहर करके, नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने दिखा दिया है कि पाकिस्तान में अभी भी उनका रूतबा है. उन्होंने ही खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सबमिट किया था.
आपको बता दें कि शरीफ हमेशा से भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर काफी सकारात्मक रहे हैं. लेकिन इमरान खान के बयानों के कारण यह मुश्किल हो सकता है. इमरान खान ने नई दिल्ली के साथ बातचीत को राजनीतिक रूप से मुश्किल बना दिया था.
क्योंकि उन्होंने बतौर पीएम पिछले ढाई सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा-आरएसएस गठबंधन पर व्यक्तिगत रूप से हमला किया था. पर अब उनके निष्कासन से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के लिए राजनयिक बातचीत शुरू करना पहले से आसान हो सकता है.