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Independence Day 2024: लाल किला कैसे बन गया हमारी आजादी की कहानी का अहम हिस्सा, क्या है इसके पीछे की कहानी

लाल किला भारत के इतिहास, स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विरासत का एक शक्तिशाली प्रतीक है. एक समय था जब इसे मुगल महल के रूप में जाना, लेकिन धीरे-धीरे ये आजादी की लड़ाई का अहम हिस्सा बन गया. यही वजह है कि हर साल लाल किला की प्राचीर से झंडा फहराया जाता है. 

Lal Qila (Photo/Getty Images) Lal Qila (Photo/Getty Images)

देश आज 78वां आजादी का जश्न मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया है. तिरंगा और पीएम के संबोधन से इतर लाल किला एक ऐसी जगह है जो शुरुआत से आजादी की कहानी का अहम हिस्सा रहा है. इसकी दीवारें कई ऐतिहासिक घटनाओं, लड़ाइयों और क्रांतियों की गवाह रही हैं, जिससे यह राष्ट्रीय गौरव का केंद्र बिंदु बन गया है. मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया 16वीं शताब्दी का यह स्मारक न केवल मुगल वास्तुकला का बड़ा नमूना है, बल्कि भारत की आजादी की लड़ाई का एक अहम हिस्सा भी है. 

शाहजहां ने बनवाया था लाल किला 
1638 और 1649 के बीच शाहजहां ने लाल किला का निर्माण करवाया था. यह लगभग 200 साल तक मुगल सम्राटों का निवास स्थान रहा है. किले की विशाल लाल बलुआ पत्थर की दीवारें, सम्राट और उसके दरबार को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए बनाई गई थीं. ये खूबसूरत किला यमुना नदी के तट पर स्थित है. बेहतरीन डिजाइन, हरे-भरे बगीचे और इसमें बड़े हॉल शामिल हैं. 

मुगल काल के दौरान लाल किला राजनीतिक शक्ति का केंद्र था. इसी राजसी महल से मुगल शासक अपने विशाल साम्राज्य पर शासन करते थे. किले की रणनीतिक स्थिति और भव्य संरचना ने इसे शक्ति का एक फोकस पॉइंट बना दिया था. हालांकि, मुगल शासन के बाद के सालों में लगातार आक्रमणों और आंतरिक कलह के कारण किले की भव्यता कम होने लगी.

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1857 का विद्रोह
लाल किले के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक 1857 के विद्रोह के दौरान घटी, जिसे सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ पहला बड़ा विद्रोह था. 1857 में, भारतीय सैनिकों या सिपाहियों के बीच असंतोष के कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बड़ा विद्रोह हुआ था. 

(फोटो- Getty Images)
(फोटो- Getty Images)

लाल किला इस विद्रोह में एक केंद्रीय जगह बन गया जब विद्रोह करने वालों ने आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर से समर्थन मांगा. उन्हें उम्मीद थी कि बहादुर शाह जफर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करेंगे. यह किला तब विद्रोह का केंद्र बिंदु बन गया, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक था.

विद्रोहियों के कई प्रयासों के बावजूद अंग्रेज विद्रोह को दबाने में सफल रहे. किले की भीतर से तहस-नहस कर दिया गया, और इसकी ज्यादातर कलाकृतियां, कीमती पत्थर और ऐतिहासिक कलाकृतियां लूट ली गईं. बहादुर शाह जफर को पकड़ लिया गया और उनके परिवार के ज्यादातर लोग मारे गए. उन्हें उनके ही महल में कैद कर दिया गया, जिससे मुगल काल का अंत हुआ.

लाल किला और आजाद हिन्द फौज
दूसरे विश्व युद्ध और उसके बाद के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाल किला एक बार फिर सुर्खियों में आया. सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) ने ब्रिटिश शासन को चुनौती देने की कोशिश की. सुभाष चंद्र बोस, जो आजादी की लड़ाई में एक प्रमुख नेता थे, ने अपने भाषणों और कार्रवाई के आह्वान में लाल किले को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया.

1945-46 में, लाल किला भारतीय राष्ट्रीय सेना के लिए अलग-अलग परीक्षणों की एक जगह बन गई, जहां तीन INA अधिकारियों- शाह नवाज खान, प्रेम सहगल और गुरबख्श सिंह ढिल्लों का कोर्ट-मार्शल किया गया. इन अधिकारियों ने ब्रिटिशों का पाला छोड़ भारतीय राष्ट्रीय सेना ज्वाइन कर ली. ये अंग्रेजों के खिलाफ जापानियों के साथ गठबंधन में थी. इन घटनाओं ने देशभक्ति के प्रतीक के रूप में लाल किले की भूमिका को और मजबूत किया.

(फोटो- Getty Images)
(फोटो- Getty Images)

आजादी और लाल किला
15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली. इस महत्वपूर्ण दिन को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराकर मनाया था. ये भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत का भी प्रतीक था. 

तब से, लाल किला स्वतंत्रता दिवस समारोह का केंद्रीय मंच बन गया. हर साल, भारत के प्रधानमंत्री किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र के नाम भाषण देते हैं. यह परंपरा 77 सालों से जारी है और भारत में स्वतंत्रता दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बन गई है. यह किला, जो कभी उत्पीड़न और संघर्ष का प्रतीक था, अब आजदी और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में खड़ा है.