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भारत के पहले महिला पुलिस थाने के पूरे हुए 50 साल...इंदिरा गांधी ने किया था उद्घाटन

50 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जिस पुलिस स्टेशन का उद्धाटन किया थास उसे 50 साल पूरे हो गए हैं. इस महिला थाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं लिए अपनी शिकायतें दर्ज करना आसान बनाना था.

Women Police (Representative Image) Women Police (Representative Image)

आज से 50 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोझिकोड में देश के पहले महिला पुलिस स्टेशन का उद्घाटन किया था. इसके बाद पीएम ने स्टेशन की पहली सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा को उद्घाटन रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए पेन दिया था. अब इसे 50 साल हो चुके हैं.केरल पुलिस अपनी वेबसाइट पर दावा करते हुए गर्व महसूस किया कि ये पुलिस स्टेशन महिलाओं के लिए एशिया का पहला पुलिस स्टेशन है. 

पद्मिनीअम्मा, जो 1995 में एसपी के पद से रिटायर हुई थीं ने 23 अक्टूबर, 1973 के ऐतिहासिक क्षण को स्पष्ट रूप से याद किया. इस पहल ने केरल और पूरे भारत में महिलाओं के कानून प्रवर्तन तक पहुंचने के तरीके को आकार दिया. पद्मिनीअम्मा तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे के साथ रहती हैं. उन्होंने कहा कि कोझिकोड में वनिता (महिला) पुलिस स्टेशन के पीछे का विचार प्रगतिशील और मानवीय दोनों था.

क्या है उद्देश्य?
इस महिला थाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं लिए अपनी शिकायतें दर्ज करना आसान बनाना था.उन्होंने स्टेशन की वर्दी का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि उनकी वर्दी शुरू में नीले और हरे किनारे वाली एक सफेद साड़ी थी. बाद में ये साड़ियां खाकी में बदल गईं. बाद में महिला पुलिसकर्मियों के लिए पतलून और शर्ट की शुरुआत हुई.

ज्यादातर मामले पारिवारिक मुद्दों से जुड़े
न्याय का सहारा लेने वाली महिलाओं को मुख्य रूप से पुलिस स्टेशनों के भीतर कठिन पुरुष-प्रधान माहौल का सामना करना पड़ता है. कई लोगों के लिए, यह एक विकट बाधा थी, विशेषकर उनके लिए जिनके पास शैक्षिक सशक्तिकरण का अभाव था. प्रथम उप-निरीक्षक एम पद्मिनीअम्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "मुख्य इरादा उनके लिए अपनी शिकायतें दर्ज करना आसान बनाना था."वर्तमान प्रभारी तुलसी के. के. को सबसे पहले सीधे सब-इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती होने और स्टेशन का प्रभार मिला. उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामले आए जहां महिला शिकायतकर्ता थीं लेकिन कई ऐसे मामले भी दर्ज किए गए जिनमें महिलाएं आरोपी भी थीं. ज्यादातर मामले पारिवारिक मुद्दों और घरेलू हिंसा जैसे क्षेत्रों से जुड़े हैं. इन मामलों में महिला अधिकारियों की सहानुभूतिपूर्ण समझ महत्वपूर्ण अंतर ला सकती है. 

हाल ही में पुलिस स्टेशन का स्वर्ण जयंती समारोह 16 अक्टूबर को मनाया गया. यह कार्यक्रम पूरे दो हफ्ते का था जो सोमवार (16 अक्टूबर) से शुरू होकर शुक्रवार (27 अक्टूबर) को समाप्त होने वाला है. इस दौरान महिलाओं और बच्चों को जागरूक करने का भी काम किया गया जिसके लिए रक्तदान, कैंसर रोगियों के लिए बाल दान और सामाजिक मुद्दों पर ड्रग्स और बाल शिक्षा के खिलाफ जागरूकता अभियान शामिल थे. एसीपी बिजुराज ने कहा कि समारोह में महिला सशक्तिकरण पर सेमिनार और कार्यक्रम भी शामिल हैं, साथ ही पुलिस स्टेशन में पूर्व स्टेशन हाउस अधिकारियों को सम्मानित किया जाता है.