
हीरे खान से निकलते है. दुनिया में सबसे ज्यादा हीरे की खान दक्षिण और मध्य अफ्रीका में है. दुनिया का 50% हीरा सिर्फ अफ्रीका से जाता है. लेकिन भारत भी इसमें पीछे नहीं है. गुजरात के सूरत शहर समेत पूरे राज्य में अब ऐसी बहुत सारी हीरे की फैक्ट्री शुरू हो चुकी हैं. किसी और देश से असली हीरे मंगवाने के बजाय अब हम खुद हीरों का उत्पादन करने लगे हैं, जिसे लेब्रोन डायमंड कहा जाता है.
गुजरात के सूरत शहर की देश और दुनिया में हीरो की नगरी के रूप में एक अलग पहचान बनी है. दुनिया में सबसे ज्यादा हीरे इसी शहर की छोटी बड़ी फैक्ट्रियों में तराशे जाते हैं. असली हीरों को चमकाने के साथ-साथ ये शहर अब लेब्रोन हीरे के उत्पादन का हब बनता जा रहा है. लेब्रोन मतलब ऐसा हीरा जिसका कच्चा उत्पादन सूरत की फैक्ट्री में ही होता है और उसके हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग कर गहनों में लगाने के लिए तैयार किया जाता है.
लेब्रोन का उत्पादन
लेब्रोन हीरे का उत्पादन हीरा फैक्ट्री की लैब में गैस चेम्बर के अंदर टेम्परेचर, हीलियम गैस, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन सहित सभी गैस के प्रेशर के माध्यम से नेचुरल हीरे के सिप्स पर से उसे ग्रॉन किया जाता है. लेब्रोन और नेचुरल हीरे की कीमत में भी कोई ज़्यादा फर्क नहीं है. दोनो की कीमत में 70 से 30 प्रतिशत का फर्क है उदाहरण के तौर पर यदि 100 रुपए का नेचुरल हीरा बाजार में मिल रहा है तो 30 रुपए में लेब्रोन हीरा बाजार में मिल रहा है.
जेम्स एन्ड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के गुजरात रीजन के चेयरमैन दिनेश नावडिया ने बताया कि देश के हीरा उद्योग में जो बेरोजगारी का प्रश्न था वो इस लेब्रोन हीरे के व्यवसाय के कारण कम हुआ है. गुजरात के सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में जो हीरे की छोटी छोटी फैक्ट्री बंद होने की कगार पर थी या बंद हो गयी थीं, उनमें नई जान आई है. लेब्रोन हीरे का इस्तेमाल मेडिकल इंस्ट्रूमेंट, ज्वेलरी, चिप्स बनाने के सोलर पैनल में भी हो रहा है.
लगातार बढ़ रही है लेब्रोन की मांग
सूरत में तैयार होने वाले असली हीरों की तरह अब लेब्रोन हीरों की मांग भी विदेशी बाजारों में बढ़ रही है. शहर में 6 साल में 400 से अधिक लेब्रोन डायमंड मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां शुरू हो चुकी हैं. सालाना 1500 से 2000 करोड़ का एक्सपोर्ट कारोबार लेब्रोन हीरे का हो रहा है. पिछले 6 महीने में लेब्रोन डायमंड की मांग 38% और 3 साल में 300% तक बढ़ी है.
जेम्स एन्ड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश नावडिया ने बताया कि लेब्रोन हीरे के कारोबार में सरकार का भी कोई हस्तक्षेप नहीं है. हीरा कारोबारी नेचुरल हीरे को उसके हिसाब से और लेब्रोन हीरे को उसके हिसाब से बेच रहे हैं.
जर्मन, रशियन और यूके टेक्नोलोजी 25 से 30 साल पहले डेवलप हो गई थी लेकिन पिछले 5 सालो से, खासकर अमेरिका में लेब्रोन हीरों की मांग बढ़ी है, जिससे लेब्रोन हीरे का अंतरराष्ट्रीय बाजार खुल गया है. लेब्रोन डायमंड के मुख्य खरीदार अमेरिका , चीन , हांगकांग और बैंकॉक हैं.
(संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)