कोरोना वायरस के नए वैरियंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant News) को लेकर पूरी दुनिया दहशत में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी ओमिक्रॉन वायरस को चिंता का विषय बताया है. अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों ने तो अपनी सीमाओं को फिर से सील करना शुरू कर दिया है. इसी बीच भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है. नई गाइडलाइन के तहत कोरोना वायरस से संक्रमित सभी देशों से भारत आने वाले सभी यात्रियों के लिए कोविड 19 टेस्ट कराना जरूरी हो. ये टेस्ट वैसे यात्रियों के लिए भी जरूरी कर दिया गया है जिनका दोनों टीकाकरण हो चुका है.
इन देशों से आ रहे ओमिक्रॉन के मामले
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद से दुनिया के तमाम देश दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पाबंदियां लगा रहे हैं ताकि इस वैरिएंट को रोका जा सके.विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह पर ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, ईरान, जापान, थाईलैंड, अमेरिका, यूरोपीय संघ के देशों और ब्रिटेन सहित कई देशों ने दक्षिण अफ्रीकी देशों से यात्रा पर पाबंदियां लगाई हैं. विमानों का परिचालन बंद होने के बावजूद इस तरह के ये साबित हो रहा है कि कोरोना का नया रूप फैलता ही जा रहा है. बेल्जियम, इजराइल और हांगकांग के यात्रियों में कई नए मामले सामने आए हैं. जर्मनी में भी अभी एक मामला सामने आया है. हॉलैंड के अधिकारी दक्षिण अफ्रीका से आने वाले दो विमानों में 61 यात्रियों के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद नए स्वरूप की जांच कर रहे हैं. तमाम देशों से आ रहे मामलों को देखते हुए भारत की हेल्थ मिनिसट्री ने ये गाईडलाइन जारी की है, ताकि आने वाले समय में कोरोना से लड़ा जा सके.
सरकार ने तैयार की इन देशों कि लिस्ट
बता दें कि केंद्र सरकार ने 12 देशों की लिस्ट तैयार की है, जहां नए वैरिएंट का खतरा अधिक है. इनमें यूके समेत यूरोप के सभी देश, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इजराइल शामिल हैं. इन देशों के अलावा अन्य देशों से आने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट से बाहर आने की अनुमति होगी. लिहाजा उन्हें 14 दिनों के लिए खुद ही निगरानी में रहना होगा.
क्या है यह वैरिएंट
इस नए वैरिएंट का का औपचारिक नाम B.1.1.529 है. दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिसीसेज (एनआईसीडी) ने अभी तक इसके 22 मामले सामने आने की पुष्टि की है. सबसे पहले यह दक्षिण अफ्रीका में ही पाया गया. इस वैरिएंट में कई म्युटेशन हैं और इनकी वजह से वायरस के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव आ सकते हैं.