चीन से निपटने के लिए सरकार ने एक ओर आईटीबीपी को और मजबूत बनाने का फैसला किया है, तो दूसरी ओर लद्दाख में शिंकुला टनल के निर्माण को मंजूरी दी है. दरअसल लद्दाख में चीन काफी आक्रामक दिखाई दे रहा है. लिहाजा केंद्र सरकार की कोशिश लद्दाख और उसकी चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा को पूरा साल देश के बाकी हिस्से से कनेक्ट करने पर है. इसके लिए एक और ऑल वेदर टनल प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी गई है.
हिमाचल को लद्दाख से जोड़ेगी टनल
शिंकुला टनल के निर्माण से पाकिस्तान से सटे कारगिल-सियाचिन से लेकर चीन से सटे पूर्वी लद्दाख तक हर मौसम में भारतीय सेना की पहुंच आसान हो जाएगी. ये टनल हिमाचल प्रदेश को लद्दाख से जोड़ेगी. इसे दुनिया की सबसे ऊंची ऑल वेदर टनल भी बताया जा रहा है.
क्यों खास है शिंकुला टनल?
सरकार की मंजूरी के साथ शिंकुला टनल के निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है. सीमा के करीब बनने वाली इस टनल को 3 साल में तैयार करने की प्लान है. शिंकुला टनल को 16 हजार 580 फीट की ऊंचाई पर बनाया जाना है. शिंकुला टनल करीब सवा चार किलोमीटर लंबी होगी.. और रणनीतिक तौर पर ये बेहद महत्वपूर्ण होगी. इस टनल के बन जाने से सीमा तक सेना के लिए रसद पहुंचाने का सुरक्षित रास्ता मिल जाएगा. इस टनल के बन जाने के बाद लेह-लद्दाख की जांस्कर घाटी पूरी साल देश से कनेक्ट हो जाएगी. अब बर्फ के बाद अभी बाकी हिस्सों से कट जाती है. ये टनल जांस्कर घाटी में टूरिज्म बढ़ाने में भी खासी हम साबित होगी. शिंकुला टनल के बन जाने से मनाली से लेह की दूरी करीब 100 किमी कम हो जाएगी.