रेलवे को शुरू से ही पड़ोसी देशों के साथ संबंध अच्छे करने के लिए जाना जाता है. अब इसी कड़ी में देश के पूर्वोत्तर राज्य से म्यांमार सीमा तक भारतीय क्षेत्र में रेलवे लाइन बिछाई जाएगी. इसके लिए बुधवार को अंतिम सर्वेक्षण की मंजूरी भी दे दी गई है.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के साथ रेलवे लाइन का हवाई निरीक्षण किया था. ये निरीक्षण बुधवार को केंद्रीय मंत्री ने अपनी इंफाल यात्रा के दौरान किया. इसी में रेल मंत्री ने मोरेह तक नई लाइन के सर्वेक्षण का आदेश भी दे दिया. ये इलाका भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है.
इंफाल-मोरेह सेक्शन 111 किलोमीटर लंबा है, जिसके अंतिम सर्वे में 333 लाख रुपये की अनुमानित लागत आएगी. बता दें, भारत और म्यांमार के बीच रेल लिंक के बनने से दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों में सुधार आएगा.
इससे पहले भी की गई थी मांग
दरअसल मणिपुर के मुख्यमंत्री ने पूर्वोत्तर दौरे के दौरान रेल मंत्री नई से रेलवे लाइन के विस्तार की मांग की थी. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने म्यांमार तक रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे को मंजूरी दे दी. हालांकि, ये प्रस्ताव इससे पहले भी रखा जा चुका है, लेकिन तब मंत्रालय द्वारा इसे खारिज कर दिया गया था.
सभी पड़ोसी देशों के बीच रेल संपर्क का सपना
गौरतलब है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के बीच रेल संपर्क स्थापित करना चाहता है, ताकि सभी से रिश्ते बेहतर हो सकें. आने वाले कुछ साल में भारत का लक्ष्य पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्यों में रेल लाइनों के माध्यम से भारत-म्यांमार और बांग्लादेश के साथ नए रेल कनेक्शन बनाए जाएंगे.
भारत-बांग्लादेश रेलवे लिंक
वहीं, अगर भारत और बांग्लादेश के रेलवे रिलेशन की बात करें, तो 56 साल मालगाड़ियों को चिलाहाटी-हल्दीबाड़ी मार्ग पर फिर से शुरू कर दिया है. बता दें, इस रेल लिंक को भारत और बांग्लादेश के बीच पांचवें रेल लिंक के तौर पर शुरू किया गया था. इसके लिए पीएम मोदी ने अपनी बांग्लादेश की राजकीय यात्रा के दौरान बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना से दोनों देशों के बीच 1965 से पहले के सभी रेल कनेक्शन को फिर से शुरू करने का वादा किया था.
कैसे हैं भारत और म्यांमार के रिश्ते?
दरअसल, भारत और म्यांमार के रिश्ते काफी अच्छे हैं. ये दोनों ही देश ऐतिहासिक, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध साझा करते हैं. भगवान बुद्ध की भूमि के रूप में, भारत म्यांमार के लोगों के लिए एक तीर्थयात्रा वाला देश है. दोनों देशों की भौगोलिक निकटता ने इनके सौहार्दपूर्ण संबंधों को विकसित करने और बनाए रखने में मदद की है. और यही कारण है कि दोनों देशों के लोग भी एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं.
आपको बता दें, भारत और म्यांमार 1600 किलोमीटर से अधिक की भूमि सीमा और बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा साझा करते हैं. भारतीय मूल की एक बड़ी आबादी म्यांमार में रहती है.
भारत और म्यांमार के बीच मैत्री संबंध
भारत और म्यांमार ने 1951 में मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे. 1987 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की यात्रा ने भारत और म्यांमार के बीच मजबूत संबंधों की नींव रखी. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने वाले कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
हमेशा मदद के लिए खड़ा रहा है भारत
दोनों देशों के बीच रिश्तों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुश्किल समय में दोनों एक दूसरे की मदद के लिए खड़े रहे हैं. मई 2008 में म्यांमार में आए प्रलयकारी चक्रवात 'नरगिस' के बाद, भारत ने तुरंत बांग्लादेश की मदद के लिए हाथ बढ़ाए थे. इसके बाद, भारत ने मार्च 2011 में शान राज्य में आए भीषण भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में भी मानवीय राहत और पुनर्वास के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता भी प्रदान की थी.
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