भारतीय नौसेना को 2 सितंबर को नया नौसेना ध्वज (निशान) मिलेगा. इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत के कमीशन समारोह में करेंगे. इसका आयोजन केरल के कोच्चि में किया जाएगा. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि नया निशान ‘औपनिवेशिक अतीत से दूर … समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप’होगा.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि नौसेना का नया ध्वज औपनिवेशिक अतीत से दूर और भारतीय हैरिटेज से परिपूर्ण होगा. नौसेना का वर्तमान निशान सफेद झंडा है जिसपर हॉरीजेंटल और वर्टिकल लाल धारियां बनी हैं. जिसे क्रॉस ऑफ सेंट जॉर्ज कहते हैं. इसके बीच में भारत का चिन्ह बना है. तिरंगा ऊपर बाईं ओर लगा है. नया नौसेना ध्वज कैसा होगा, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि बयान में "औपनिवेशिक अतीत से दूर करना" का संदर्भ यह स्पष्ट करता है कि सेंट जॉर्ज क्रॉस (a red cross on a white background) अब नौसेना के झंडे में दिखाई नहीं देगा. इंग्लैंड के संरक्षक संत, सेंट जॉर्ज को अभी भी सम्मान और वीरता के आदर्शों के साथ पहचाना जाता है.
चौथी बार बदलेगा निशान
इस मामले में हिंदुस्तान टाइम्स ने नौसेना के इतिहासकार कमोडोर श्रीकांत केसनूर (सेवानिवृत्त) से बात की. उन्होंने कहा,"मुझे नहीं पता कि नया नौसैनिक ध्वज कैसा होगा. लेकिन जो कुछ भी हमारे गौरवशाली समुद्री अतीत का जश्न मनाता है वह एक स्वागत योग्य कदम है. ”इस मामले से परिचित अधिकारियों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब सेंट जॉर्ज क्रॉस को नौसेना के ध्वज से हटाया गया है.
साल 1950 के बाद से चौथी बार भारतीय नौसेना का निशान बदल रहा है. 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय नौसेना के ध्वज का भारतीयकरण किया गया था. लेकिन ब्रिटिश चिन्ह झंडे में छोटे-बड़े होते थे. ये चिन्ट है लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रास.
क्या हो सकता है बदलाव?
खबरों की माने तो इस बार ध्वज से क्रॉस का साइन हटाया जाएगा. इसके अलावा रंगों में कुछ बदलाव किया जाएगा. साथ ही एक लंगर को दर्शाने वाली नौसेना शिखा को भी जोड़ा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि सेना और भारतीय वायु सेना के झंडे के साथ एक समानता रखी जाएगी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बता ये है कि औपनिवेशिक काल के बाद के समय में, जबकि अन्य पूर्व-औपनिवेशिक नौसेनाओं ने अपने नए झंडे में रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया, भारतीय नौसेना ने इसे 2001 तक बरकरार रखा.