

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) 2025 में भारत 118वें स्थान पर है. दुनिया की सबसे खुशहाल कंट्री फिनलैंड है. फिनलैंड लगातार 8 सालों से इस लिस्ट में टॉप कर रहा है. हालांकि भारत की रैंकिंग इस साल बेहतर हुई है. 2024 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में इंडिया 126वें स्थान पर था. सबसे खुशहाल देशों में ज्यादातर देश यूरोपीय हैं.
20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस डे
यह रिपोर्ट हर साल 20 मार्च को प्रकाशित की जाती है. 20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस डे मनाया जाता है. इसे तैयार करने के लिए लोगों की खुशी के आंकलन के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों जैसे दान, स्वयंसेवा और अजनबियों की मदद करना जैसी बातें भी ध्यान रखी जाती हैं.
भारत की रैंकिंग 118वें स्थान पर
भारत 'परोपकार के 6 मानदंडों के लिए देश रैंकिंग' के मामले में कुल मिलाकर 118वें स्थान पर है, लेकिन (लोगों द्वारा) दान देने के मामले में यह 57वें स्थान पर है. लोगों द्वारा स्वेच्छा से योगदान देने के मामले में 10वें स्थान पर है. अजनबी की मदद करने के मामले में 74वें स्थान पर और पड़ोसी द्वारा खोया हुआ पर्स लौटाने के मामले में 115वें स्थान पर है. अजनबी द्वारा पर्स लौटाए जाने के मामले में 86वें स्थान पर है तथा पुलिस द्वारा पर्स लौटाने के मामले में 93वें स्थान पर है.
अफगानिस्तान दुनिया का सबसे दुखी देश
अफगानिस्तान फिर से दुनिया का सबसे दुखी देश बना है. जबकि नेपाल 92वें स्थान (2024 में 93वें स्थान) और पाकिस्तान 109वें स्थान (2024 में 108वें स्थान) के साथ भारत से काफी आगे हैं, श्रीलंका 133वें स्थान (2024 में 128वें स्थान) और बांग्लादेश 134वें स्थान (2024 में 129वें स्थान) के साथ पीछे हैं. चीन इस साल 68वें स्थान पर है, जबकि पिछले साल यह 60वें स्थान पर था.
चीन इस साल 68वें स्थान पर है, जबकि पिछले साल यह 60वें स्थान पर था. फिलिस्ती 108वें स्थान पर है, जबकि यूक्रेन 111वें स्थान पर पहुंच गया है, 2024 में यूक्रेन 105वें स्थान पर था. अमेरिका इस बार 24वें स्थान पर है जोकि US का अब तक का सबसे निचला स्थान है.
फूड शेयर करने वाले लोग रहते हैं खुशहाल
इस रिपोर्ट को जारी करने का प्रस्ताव भूटान की तरफ से पेश किया गया था. भूटान के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 जुलाई, 2011 को अपनाया था और पहली वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2012 में जारी की गई थी. पिछले 12 साल से बनाई जा रही है. इस रिपोर्ट को बनाने के लिए प्रत्येक देश के लिए सालाना लगभग 1,000 रिएक्शन लिए जाते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग अक्सर दूसरों के साथ फूड शेयरिंग करते हैं वे बहुत खुश रहते हैं और यह प्रभाव परिवार के आकार को ध्यान में रखते हुए भी लागू होता है.