एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार देश के सबसे अमीर विधायक हैं. डीके शिवकुमार की कुल संपत्ति 1,413 करोड़ रुपये आंकी गई है. शीर्ष 20 में 12 के साथ कर्नाटक के विधायक देश के सबसे अमीर विधायकों की सूची में शीर्ष पर हैं. एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक के 14% विधायक अरबपति (100 करोड़ रुपये) हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है, और विधायकों की औसत संपत्ति 64.3 करोड़ रुपये है.
कर्नाटक से हैं पहले तीन विधायक
बता दें कि सबसे टॉप अमीर विधायकों की लिस्ट में पहले तीन विधायक कर्नाटक से ही हैं. दूसरे नंबर पर निर्दलीय विधायक केएच पुत्तास्वामी हैं. केएच पुत्तास्वामी पेशे से कारेबारी हैं. उनकी कुल दौलत 1,267 करोड़ रुपये है. उन पर महज 5 करोड़ की देनदारी है. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के सबसे युवा विधायक प्रियकृष्ण हैं जिनकी कुल संपत्ति 1,156 करोड़ रुपये बताई गई. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 28 विधानसभाओं और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 4,001 विधायकों का डेटा लिया गया. डीके शिवकुमार ने इसी साल हुए चुनाव में अपने हलफनामे में बताया था कि उनके पास 273 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है. इसके अलावा 1,140 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 265 करोड़ रुपये की देनदारी है.
सबसे गरीब विधायक कौन
अमीर विधायकों की सूची में तीसरे नंबर पर रहे प्रियकृष्ण, दौलत के साथ ही कर्जे में भी टॉप पर हैं. उन पर 881 करोड़ रुपये की देनदारी है. उनके पिता एम. कृष्णप्पा कर्नाटक के 18वें नंबर के सबसे अमीर शख्स हैं.कर्नाटक के दूसरे दिग्गज विधायक एन. जनार्दन रेड्डी प्रदेश के 23वें नंबर के सबसे अमीर शख्स हैं. कुल मिलाकर, भारत में सबसे गरीब विधायक पश्चिम बंगाल के सिंधु निर्वाचन क्षेत्र से निर्मल कुमार धारा हैं, जिनकी संपत्ति 1,700 रुपये है और कोई देनदारी नहीं है. कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए सबसे गरीब विधायक बीजेपी के भागीरथी मुरुलिया हैं, जिन्होंने 28 लाख रुपये की संपत्ति और 2 लाख रुपये की देनदारी घोषित की है.
हाल के विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में देश में सबसे अधिक अरबपति चुने गए, जिनमें से 32 के पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति थी. कांग्रेस के 19 को छोड़कर, अन्य अरबपतियों में भाजपा के नौ, जद (एस) के दो, केआरपीपी से एक और एक निर्दलीय शामिल हैं. दूसरी ओर, कर्नाटक विधायिका ने भी निर्वाचित विधायकों के मामले में काफी लाभ दर्ज किया है. राज्य के 224 विधायकों में से 62% या तो स्नातक (50%) या स्नातकोत्तर (12%) हैं.