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Haj Quota Agreement 2024: हज यात्रा के लिए India-Saudi Arabia के बीच हुआ समझौता, जानें इस साल जा सकते हैं कितने लोग?

हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है. ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक होता है. जिस दिन हज पूरा होता है, उस दिन ईद-उल-अजहा यानी बकरीद होती है.

 Haj Yatra Haj Yatra
हाइलाइट्स
  • हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से माना जाता है एक 

  • हज पाप धोने और खुद को अल्लाह के और करीब लाने का है रास्ता 

भारत और सऊदी अरब के बीच हज यात्रा को लेकर समझौता हो गया है. जी हां, इस साल हज के लिए भारत से 1 लाख 75 हजार 25 लोग सऊदी अरब जा सकेंगे. इनमें से 1,40,020 सीटें हज समिति के लिए आरक्षित की गई हैं. वहीं 35,005 सीटें हज ग्रुप ऑपरेटर्स के लिए जारी की जाएंगी.

स्मृति ईरानी ने दी जानकारी
महिला एवं बाल कल्याण एवं अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन सऊदी की राजधानी में जेद्दा में हैं. उन्होंने सऊदी अरब के हज और उमरा मामलों के मंत्री डॉ. तौफीक बिन फौजान अल रबिया के साथ द्विपक्षीय हज समझौते 2024 पर हस्ताक्षर किए. स्मृति ईरानी ने एक्स पर पोस्ट के माध्यम से समझौते की जानकारी दी. इसके साथ ही भारत सरकार ने एक डिजिटल इनिशिएटिव भी शुरू किया है, जिससे भारतीय हज यात्रियों को सभी जरूरी सूचनाएं मिल सकेंगी. सऊदी अरब ने इसके लिए पूरी मदद करने का भरोसा दिलाया है.

मुस्लिम क्यों करते हैं हज
मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है. ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम में 5 स्तंभ हैं- कर पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना. कलमा, नमाज और रोजा रखना तो हर मुसलमान के लिए जरूरी है. लेकिन जकात (दान) और हज में कुछ छूट दी गई है. जो सक्षम हैं यानी जिनके पास पैसा है, उनके लिए ये दोनों (जकात और हज) जरूरी हैं.

हज करने वाले को कहते हैं हाजी 
हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. काबा वो इमारत है, जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. इस वजह से ये मुसलमानों का तीर्थ स्थल है. हज करने वाले को हाजी कहते हैं. हाजी धुल-हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं.

कब होती है हज यात्रा
हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक होता है. जिस दिन हज पूरा होता है, उस दिन ईद-उल-अजहा यानी बकरीद होती है. मुसलमानों में हज के अलावा एक और यात्रा होती है, जिसे उमराह कहा जाता है. हालांकि, उमराह साल में कभी भी हो सकता है जबकि हज सिर्फ बकरीद पर ही होता है.

कैसे करते हैं हज यात्रा
हाजी धुल-हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं. हज यात्रा के पहले चरण में हाजी इहराम बांधते हैं. यह एक सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर पर लपेटते हैं. इस दौरान सफेद कपड़ा पहनना जरूरी है. हालांकि, महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती है. लेकिन हिजाब के नियमों का पालन करना जरूरी है.

पहले दिन करते हैं हाजी तवाफ 
हज के पहले दिन हाजी तवाफ (परिक्रमा) करते हैं. तवाफ करते हुए हाजी सात बार काबा के चक्कर काटते हैं. इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाए जाते हैं. ऐसा कहते हैं कि पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजिरा अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश में सात बार सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच चली थीं. 

मीना शहर में होते हैं इकट्ठा 
इसके बाद हाजी मक्का से आठ किलोमीटर दूर मीना शहर इकट्ठा होते हैं. यहां पर वे रात में नमाज अदा करते हैं. हज के दूसरे दिन हाजी माउंट अराफात पहुंचते हैं, जहां वो अल्लाह से अपने गुनाह माफ करने की दुआ करते हैं. फिर वे मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होते हैं. वहां पर खुले में दुआ करते हुए पूरी एक रात ठहरते हैं.

शैतान को पत्थर मारने की UW परंपरा
हाजी तीसरे दिन जमारात पर पत्थर फेंकने के लिए दोबारा मीना लौटते हैं. जमारात तीन पत्थरों का एक स्ट्रक्चर है, जिसे शैतान और जानवरों की बलि का प्रतीक समझा जाता है. दुनियाभर के अन्य मुस्लिमों के लिए यह ईद का पहला दिन होता है. इसके बाद हाजी अपना मुंडन कराते हैं या बाल काटते हैं. इसके बाद के दिनों में हाजी मक्का में दोबारा तवाफ और सई करते हैं और फिर जमारत लौटते हैं. मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजियों को हज यात्रा पूरी करने के लिए आखिरी बार तवाफ करनी पड़ती है. हज यात्रा के आखिरी दिन ईद अल अजहा मनाया जाता है.