DRDO Gaurav Bomb: डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने मंगलवार यानी 13 अगस्त 2024 भारत के लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम 'गौरव' का पहला सफल टेस्ट किया है. बम के सफल परीक्षण के लिए इंडियन एयर फोर्स (IAF) के सुखोई-30MKI (Su-30MKI) का इस्तेमाल किया गया. आइए जानते हैं कि गौरव बम क्या है और इसकी खासियत क्या है?
क्या है गौरव बम?
गौरव बम (Gaurav Bomb) को रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने डिजाइन किया गया है. गौरव बम का वजन 1000 किलोग्राम है. यह एक एयर-लॉन्च ग्लाइड बम है जिसे लंबी दूरी से भी अपने दुश्मनों पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है.
गौरव बम अपने टारगेट की ओर बढ़ने के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम (GPS) के जरिए बिल्कुल सटीक हाइब्रिड नेविगेशन स्कीम का इस्तेमाल करता है.
कैसे हुआ टेस्ट?
ओडिशा में फ्लाइट टेस्ट के दौरान ग्लाइड बम 'गौरव' ने अपने टारगेट पर एकदम सटीक निशाना लगाया. टेस्ट के दौरान गौरव बम के फ्लाइंग का पूरा डेटा ओडिशा के बीच के टेलिमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रेकिंग सिस्टम ने कैद किया.
गौरव बम के टेस्ट की उड़ान DRDO के सीनियर साइंटिस्ट की देखरेख में भरी गई. गौरव बम को बनाने और इसके सफल परीक्षण में अडानी डिफेंस और भारत फोर्ज की अहम भूमिका है.
गौरव बम को रिसर्च सेंटर इमारत हैदराबाद ने डिजाइन किया है. डिजाइन के बाद अडानी डिफेंस को बम बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. अडानी डिफेंस और भारत फोर्ज कंपनी के कुछ मेबर गौरव बम के परीक्षण के समय मौजूद रहे.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
गौरव बम के सफल परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने डीआरडीओ की टीम और इंडियन एयरफोर्स को बधाई दी. रक्षा मंत्री ने इस परीक्षण को देश के विकास और सशस्त्र बलों के लिए एक अहम पड़ाव बताया है. इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने एक बयान भी जारी किया है.
रक्षा मंत्री के अलावा रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने गौरव के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ टीम और भारतीय वायु सेना को बधाई दी.
लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम
गौरव जैसे लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम को रास्ता दिखाने के लिए GPS का इस्तेमाल किया जाता है. यह बिना रुके 110 किलोमीटर तक जा सकते हैं. गौरव बम इस तरीके से डिजाइन किए जाते हैं कि रडार भी इनका पता नहीं लगा सकता.
साल 1980 में इजरायल ने पहली बार ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था. गौरव जैसे इसी तरह के बम में GBU-39/B भी शामिल है. GBU-39/B लंबी दूरी तक जा सकता है. साथ ही यूके का पेववे IV कई मशीनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.