भारतीय सेना अब सटीक निशाने साधने और दुश्मन के ठिकानों और साजो सामान को नेस्तनाबूद करने में बेजोड़ अमेरिकी हेलफायर मिसाइल और पनडुब्बी रोधी MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो से लैस होने जा रही है. दरअसल, भारत अब अमेरिका के साथ 2400 करोड़ के हथियारों का सौदा करने जा रहा है. इसके तहत हेलफायर मिसाइलें और MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो खरीदे जाएंगे. MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो को जहाजों, एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टरों के जरिए इस्तेमाल किया जा सकता है. तो हेलफायर मिसाइलों को एमएच-60 रोमियो हेलिकॉप्टर में लगाया जा सकता है.
खबर है कि अमेरिका के साथ इस हथियार सौदे के लिए बातचीत आखिरी दौर में है. हेलफायर वही मिसाइल है जिसका इस्तेमाल करके अमेरिका ने अल-कायदा के सरगना अल-जवाहिरी समेत कई प्रमुख आतंकियों का सफाया किया.
क्या है हेलफायर मिसाइल की खूबियां
यह मिसाइल सटीक निशाना साधने में सक्षम है. सटीक निशाने के लिए इसमें कैमरे लगे होते हैं. इसका निशाना सीधे लक्ष्य को भेदता है. इससे आसपास के लोगों या किसी और चीज को नुकसान नहीं होता. इसका वजन 45 किलोग्राम है. इसकी लंबाई 1.6 मीटर है. इसे निंजा मिसाइल के नाम से भी जाना जाता है. इसमें रेजर जैसी 6 नुकीले ब्लेड होते हैं. जो स्टील की मोटी चादरों को भी काट सकते हैं. ये मिसाइल पल भर में लक्ष्य को टुकड़े-टुकड़े कर देती है. इसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर, विमान या किसी और लांचर से लांच किया जा सकता है. बताया जाता है कि अमेरिका हेलफायर मिसाइल का इस्तेमाल 2017 से ही कर रहा है. 2020 और 2022 में अफगानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर भी इसके जरिए हमले किए गए. वहीं, दूसरा खास हथियार जो अमेरिका से भारत को मिलने वाला है, वो है पनडुब्बी रोधी MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो .
क्या हैं MK 54 लाइटवेट टॉरपीडो की खूबियां
यह पनडुब्बी-रोधी हथियार है. इसकी लंबाई 2.72 मीटर है. जबकि इसका व्यास 324 मिलीमीटर है. इसका इस्तेमाल नौसेना के P-8I विमानों से किया जाएगा. समुद्री हमलों से बचाव में इसका इस्तेमाल हो सकेगा. जाहिर है, भारत के लिए अपनी समुद्री सीमा की रक्षा में इन लड़ाकू साजो सामान की खास अहमियत हो सकती है. साथ ही साथ हिंद महासागर और दूसरे समुद्री इलाकों में चीन और पाकिस्तान की हरकतों को नाकाम करने में भी आसानी हो सकती है.