भारतीय वायु सेना (IAF) के एसयू-30 और एलसीए तेजस लड़ाकू विमानों को जल्द ही ऐसी मिसाइल मिलने वाली है जो हवा में उड़ते हुए दूसरे लड़ाकू विमानों को ढेर करने की क्षमता रखेगी. वायु सेना ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और भारत डाइनैमिक्स लिमिटेड (BDL) को 200 'अस्त्र एयर-टू-एयर' मिसाइल तैयार करने की मंजूरी दे दी है.
क्या होती है एयर-टू-एयर मिसाइल?
एयर-टू-एयर मिसाइल (AAM) को आसान शब्दों में हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल कहा जा सकता है. यह किसी अन्य विमान या किसी हवाई वस्तु को नष्ट करने के उद्देश्य से एक विमान से दागी गई मिसाइल होती है. एएएम या तो ठोस ईंधन से या कभी-कभी तरल ईंधन से चलती है. पहले विश्व युद्ध के दौरान हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था, हालांकि उस समय मिसाइल को कम्प्यूटर से निर्देश देने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. मौजूदा दौर की एयर-टू-एयर मिसाइल को उसी के ढर्रे पर विकसित किया गया है.
भारतीय वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की हालिया हैदराबाद यात्रा के दौरान डीआरडीओ और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीडीएल को मंजूरी दी गई थी. इंडिया टुडे टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने कहा कि डीआरडीओ इस परियोजना के विकास के लिए जिम्मेदार है, वहीं बीडीएल को उत्पादन का जिम्मा दिया गया है.
अस्त्र कार्यक्रम का हिस्सा है मिसाइल
इस कार्यक्रम को भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) ने मंजूरी दी थी. इसके तहत 2022-23 में दोनों सेनाओं के लिए 248 मिसाइलों का उत्पादन होने की उम्मीद थी. एयर-टू-एयर मिसाइलों की ये शृंखला अस्त्र कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके तहत पहला उत्पादन 2017 में शुरू हुआ था.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सैन्य बलों की हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाना है. गौरतलब है कि मार्क-2 से पहले अस्त्र मार्क-1 मिसाइल को भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों में सफलतापूर्वक शामिल किया जा चुका है.
क्या है इन मिसाइलों की खासियत
रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने कहा कि अस्त्र मार्क 2 मिसाइलों पर फिलहाल काम चल रहा है. यह मिसाइल 130 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद दुश्मन को निशाना बना सकेगी. इसके बरक्स, आईएएफ और नौसेना फिलहाल जिस अस्त्र मार्क-1 मिसाइल का इस्तेमाल कर रही है उसकी रेंज 100 किलोमीटर है. हालांकि इसे बढ़ाया भी जा सकता है. अस्त्र मार्क-2 मिसाइल का पहला परीक्षण आगामी महीनों में होने वाला है. डीआरडीओ इस मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए एक विशेष मोटर तैयार कर रही है.
कैसे शुरू हुआ सफर?
स्वदेशी एयर-टू-एयर मिसाइल वाली प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम 2001 में शुरू हुआ था. उस समय डीआरडीओ ने विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा शुरू की थी. इसका उद्देश्य था कि आंखों से बहुत दूर मौजूद प्रतिकूल लक्ष्यों को भेदने के लिए एक मिसाइल प्रणाली डिजाइन की जा सके.
बाद में हैदराबाद की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब (DRDL) को इस परियोजना के लिए नोडल प्रयोगशाला के रूप में पहचान मिली. शुरुआती अध्ययन करने और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन भी किया गया था.