8 अक्टूबर को इंडियन एयरफोर्स डे के मौके पर कंगना रनौत की आने वाली फिल्म तेजस का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. इसमें एक्ट्रेस खतरनाक अवतार में नजर आ रही हैं. आइए आज तेजस स्वदेशी लड़ाकू विमान की खासियत और क्यों इसे वायु सेना में किया गया था शामिल इसके बारे में जानते हैं?
पूर्व पीएम वाजपेयी ने नाम रखा था तेजस
इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हल्के लड़ाकू विमान को शामिल करने की तैयारी साल 1983 से शुरू हो गई थी. 21 साल की मेहनत आखिरकार रंग लाई और साल 2001 में स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान ने पहली बार उड़ान भरी. साल 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस हल्के लड़ाकू विमान को 'तेजस' नाम दिया.
तेजस नाम रखते वक्त प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि ये संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब चमक है. भारतीय वायुसेना ने एक जुलाई, 2016 को पहली तेजस यूनिट का निर्माण करके विमान को सेवा में शामिल किया था. तेजस को सबसे पहले वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 45 ‘फ्लाइंग डैगर्स' ने शामिल किया था.
तेजस लड़ाकू विमान की खासियत
1. भारत में ही निर्मित तेजस जेट विमानों के वायु सेना में शामिल होने के बाद देश की सेना की ताकत में इजाफा हुआ है.
2. तेजस को एलमुनियम, लिथियम एलोय, कार्बन फाइबर कंपोजिट, टाइटेनियम एलाय और स्टील से बनाया गया है.
3. तेजस दुर्गम इलाकों में भी आसानी से लैंड कर सकता है.
4. हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मामलों में हमला करने में तेजस कारगर है.
5. तेजस हर तरह के मौसम में काम करने में पूरी तरह से सक्षम है.
6. तेजस विमान 8 से 9 टन लोड लेकर उड़ान भरने में सक्षम है.
7. तेजस विमान की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है. 52 हजार फीट की ऊंचाई पर यह मैक 1.6 से 1.8 तक की स्पीड से उड़ान भर सकता है.
8. तेजस में कई आधुनिक उपकरण लगे हुए हैं, जिनमें रडार भी शामिल है. इस वजह से तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उनपर निशाना साधने में सक्षम है.
9. हवा में ही इसमें ईंधन भरा जा सकता है और यह दुश्मन देश के रडार को चकमा देने की भी ताकत रखता है.
10. इस विमान के 50% कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है.
11. बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टैकऑफ करने की क्षमता.
12. यह फाइटर जेट सबसे ज्यादा हल्का यानी सिर्फ 6500 किलो का है.
आखिर क्यों एयरफोर्स को तेजस की पड़ी जरूरत
पिछले पांच दशकों में 400 से ज्यादा MiG-21 विमानों के क्रैश होने की वजह से भारत सरकार इसे रिप्लेस करना चाह रही थी. इसी MiG-21 की जगह लेने में कामयाब हुआ तेजस. इस विमान का वेट कम होने की वजह से यह समुद्री पोतों पर भी आसानी से लैंड और टेक ऑफ कर सकता है. यही नहीं इसकी हथियार ले जाने की क्षमता MiG-21 से दोगुना है. स्पीड की बात करें तो राफेल से 300 किलोमीटर प्रति घंटा ज्यादा रफ्तार तेजस की है.
कंगना ने फिल्म में दिखाया दमदार एक्शन
तेजस फिल्म के निर्माताओं ने वायु सेना दिवस पर ट्रेलर से पर्दा उठा दिया है, जिसमें कंगना को प्रखर, जोश से भरे और शक्तिशाली वायु सेना पायलट तेजस गिल के किरदार में दिखाया गया है. हाई लेवल के हवाई सीन्स के साथ ट्रेलर की शुरुआत हुई और दिल को जीतने वाले डायलॉग ने ट्रेलर की शुरुआत से ही सनसनी मचा दी है.
वीर वायु सेना पायलट की कहानी
तेजस फिल्म को भारत की पहली एरियल एक्शन फिल्म बताया जा रहा है. ट्रेलर में दिखाया गया है कि एक भारतीय जासूस को पाकिस्तान ने पकड़ लिया है. तब कंगना उस मिशन में जाने के लिए आगे आती हैं, जिसके तहत भारतीय जासूस को छुड़ाने के ऑपरेशन की तैयारी की जाती है. लेकिन इस मिशन में कंगना यानी तेजस गिल के सामने एक बाद एक, कई रुकावटें आती हैं. कंगना की ये फिल्म इसी साल 2023 में 27 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म तेजस को आरएसवीपी ने बनाया है. इसका निर्देशन और लेखन सर्वेश मेवाड़ा ने किया है. इस फिल्म के निर्माता रोनी स्क्रूवाला हैं.
भारत को छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं...
फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत दमदार डायलॉग के साथ होती है. भारत को छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं, अब आसमान से दुश्मन पर वार होगा, अब जंग का ऐलान होगा. इस तरह के कई डायलॉग ट्रेलर में आपका दिल जीत लेंगे. इस फिल्म के लिए कंगना रनौत ने 4 महीने की ट्रेनिंग भी ली है. एक्ट्रेस ने कॉम्बेट टैकनीक की सीख ली. इसके अलावा फिल्म के जरूरी सीन के लिए भी कंगना ने काफी मेहनत की है.
क्यों हर साल 8 अक्टूबर को मनाया जाता है वायुसेना दिवस
भारतीय वायु सेना दिवस प्रतिवर्ष बड़े ही धूमधाम के साथ 8 अक्टूबर को सेलिब्रेट किया जाता है. इस वर्ष भारत अपना 91वां इंडियन एयर फोर्स डे मना रहा है. इस दिन को भारतीय वायु सेना के कार्यों और देश के लिए वायु सेना के योगदान को सराहा जाता है. इसके साथ ही भारतीय वायु सेना का स्थापना दिवस भी सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन भारतीय सेना की ओर से भी देश भर के वायु स्टेशनों से लड़ाकू विमानों द्वारा करतब दिखाए जाते हैं और भारतीय वायु सेना का शक्ति प्रदर्शन किया जाता है.
1932 में हुई थी एयरफोर्स की स्थापना
इंडियन एयरफोर्स की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी, जिसके बाद से ही प्रतिवर्ष इस दिन को 8 अक्टूबर को मनाया जाता है. भारतीय वायु सेना का संस्थापक एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी को माना जाता है. आजादी के बाद 1 अप्रैल 1954 सुब्रोतो मुखर्जी को भारतीय वायु सेना का पहला वायु सेना प्रमुख नियुक्त किया गया. भारतीय वायु सेना का मुख्यालय देश की दिल्ली में स्थापित है.
1950 में 'रॉयल' हटाया
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी पेशेवर दक्षता और उपलब्धियों को देखते हुए मार्च 1945 में इसके सम्मान में 'रॉयल' को भी जोड़ा गया. इसके बाद यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) बन गई थी. रॉयल इंडियन एयर फोर्स के ध्वज में ऊपरी बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड पर RIAF राउंडेल (लाल, सफेद और नीला) शामिल था.
साल 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद वायुसेना ने अपने नाम में से रॉयल हटा दिया था. स्वतंत्रता के बाद निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और RIAF राउंडल्स को IAF ट्राई कलर राउंडेल या तिरंगे के राउंडेल के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था.
वर्ष 2023 के लिए थीम
किसी भी दिन को मनाने के लिए उसकी थीम पहले ही तय कर दी जाती है और फिर उस दिन को उसी थीम को ध्यान में रखकर सेलिब्रेट किया जाता है. भारत के 91वें वायु सेना दिवस की थीम IAF-Airpower Beyond Boundaries यानी कि भारतीय वायु सेना-सीमाओं से परे वायु सेना निर्धारित की गई है.
एयरफोर्स को 72 साल बाद मिला नया ध्वज
भारतीय वायु सेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने रविवार को प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड के दौरान वायु सेना के नए ध्वज का अनावरण किया. 72 साल बाद भारतीय वायुसेना को नया ध्वज मिला है. नए ध्वज में सबसे ऊपर और दाएं कोने में भारतीय वायुसेना की शिखा को दर्शाया गया है.
नये झंडे में क्या नया है
भारतीय वायुसेना ने एक बयान में कहा, भारतीय वायु सेना के मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए अब एक नया ध्वज बनाया गया है. ध्वज के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट को शामिल किया गया है. भारतीय वायुसेना के शिखा पर राष्ट्रीय चिह्न है. शीर्ष पर अशोक स्तंभ है. उसके नीचे देवनागरी में 'सत्यमेव जयते' लिखा है. अशोक स्तंभ के नीचे एक हिमालयी ईगल है, जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के लड़ने के गुणों को दर्शाता है. भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य 'गौरव के साथ आकाश को छूएं' देवनागरी में हिमालयन ईगल के नीचे अंकित है. यह वाक्य भगवद गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है.
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