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C-295 Plane: बढ़ गई इंडियन एयरफोर्स की ताकत! भारत को मिला पहला C295 विमान...गश्त लगाने के साथ और किन चीजों में है माहिर, जानिए

भारतीय वायु सेना को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से सरकार ने ‘Airbus डिफेंस एंड स्पेस कंपनी’ के साथ दो साल पहले 21,935 करोड़ रुपये में 56 C295 परिवहन विमानों को खरीदने का सौदा किया था. इस कड़ी का पहला विमान सेना को सौंप दिया गया है.

C-295 Plane C-295 Plane

यूरोपियन कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (AD Space) ने भारतीय वायु सेना (IAF)को बुधवार को 56 C295 विमानों में से पहला विमान सौंप दिया है. नए विमाने के जरिए पुराने एवरो-748 बेड़े को बदलने की तैयारी है. एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने स्पेन के सेविले शहर में इस प्लेन को रिसीव किया. खास बात ये है कि स्पेन से भारत को 16 C295 विमान मिलेंगे जबकि बचे 40 विमानों का प्रोडक्शन गुजरात के वडोदरा में किया जाएगा. वडोदरा में टाटा एडवांस सिस्टम कंपनी इन्हें बनाएगी. संभावना है कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर 25 सितंबर को लैंड कर सकता है. भारत ने ये डील 21 हजार करोड़ में की थी. समझौते के तहत 4 सालों में 16 विमान दिए जाएंगे.

ऑर्डर पर 56 विमानों में से पहले 16 सी295 को सेविले में सैन पाब्लो सुर साइट पर असेंबल किया जाएगा, दूसरे विमान की डिलीवरी मई 2024 में की जाएगी और अगले 14 को अगस्त 2025 तक प्रत्येक को एक माह के अंदर डिलीवर किया जाएगा.फाइनल असेम्बलिंग के लिए एयरबस और टाटा के हैदराबाद और नागपुर प्लांट में 14000 से ज्यादा स्वदेशी पार्ट्स तैयार कर वडोदरा भेजे जाएंगे. फिलहाल वायुसेना के पायलेट का पहला बैच इसे उड़ाने की ट्रेनिंग ले चुका है. दूसरे बैच की ट्रेनिंग चल रही है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि ये सिर्फ इंडियन एयरफोर्स के लिए ही मील का पत्थर नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है. इससे देश की टेक्टिकल क्षमताएं बढ़ेंगी. दूसरा यह आत्मनिर्भर भारत की पहचान बनेगा. यहां से नए दौर की शुरुआत हो रही है.

क्या है इसकी खासियत?
शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग करने में ये एयरक्रॉफ्ट माहिर हैं. कंपनी के मुताबिक ये एयरक्राफ्ट 320 मीटर की दूरी में ही टेक-ऑफ कर सकता है. वहीं, लैंडिंग के लिए 670 मीटर की लंबाई काफी है. कह सकते हैं कि लद्दाख, कश्मीर, असम और सिक्किम जैसे पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन के समय ये काफी मददगार साबित होंगे. ये एयरक्रॉफ्ट लगातार 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इसमें दो लोग उड़ा सकते हैं. क्रू केबिन में टचस्क्रीन कंट्रोल के साथ स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम भी है. एयरक्राफ्ट अपने साथ 7,050 किलोग्राम का पेलोड उठा सकता है और एक बार में अपने साथ 71 सैनिक, 44 पैराट्रूपर्स, 24 स्ट्रेचर या 5 कार्गो पैलेट को ले जा सकता है. इसकी लंबाई: 80.3 फीट, ऊंचाई: 28.5 फीट है और इसमें 7650 लीटर फ्यूल आ सकता है. खास बात ये है कि ये नियमित रूप से रेगिस्तान से समुद्री वातावरण तक में दिन के साथ-साथ रात के युद्ध अभियानों को संचालित कर सकता है.

ये विमान लगातार 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इसके साथ ही इसमें लोडिंग और ड्रॉपिंग की भी कोई दिक्कत नहीं है. इसमें पीछे रैम्प डोर है, जो सैनिकों या सामान को तेजी से लाने ले जाने में मदद करेगा.एयरक्राफ्ट में 2 प्रैट एंड व्हिटनी PW127 टर्बोट्रूप इंजन लगे हुए हैं. इन सभी प्लेन को स्वदेश निर्मित इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूइट से लैस किया जाएगा.

सेना के लिए क्यों हैं जरूरी
दरअसल, वायुसेना में 60 साल पहले खरीदे गए 56 एवरो ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं जोकि काफी पुराने हो गए है. कई सालों से इन्हें बदलने की मांग हो रही थी. मई 2013 में कंपनियों को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) भेजा गया था. मई 2015 में रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने टाटा ग्रुप और एयरबस के C-295 एयरक्राफ्ट के टेंडर को अप्रूव किया था. इन विमानों के आ जाने से सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर का ट्रांसपोर्ट और सरल हो जाएगा. इसके साथ ही एक दावा यह भी है कि 40 प्लेन देश में बनाए जाने से करीब 15 हजार हाई स्किल्ड जॉब क्रिएट होंगी। इसके साथ ही 10 हजार लोगों को इनडायरेक्ट रोजगार मिलेगा.