रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर हिंदुस्तान के शौर्य को सातवें आसमान पर ले जाने की तैयारी है. भारत के स्वदेशी हथियारों की ताकत देख चीन से लेकर पाकिस्तान तक खलबली है. आज भारत के हथियारों की धमक दुनिया में सुनाई दे रही है. दुनिया के कई देश भारतीय हथियारों के मुरीद हो चुके हैं. जिसमें स्वदेशी हथियारों की हिस्सेदारी बड़ी होती जा रही है. क्योंकि मेक इन इंडिया के नए महाबली अब तैयार हैं. पिछले कुछ सालों में भारत के रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. 2013-14 से लेकर अब तक देश का रक्षा बजट लगभग दोगुना हो चुका है. सरकार का पूरी तरह इस बात पर जोर है कि डिफेंस सेक्टर में आयात को घटाया जाए और एक्सपोर्ट यानि निर्यात में बढ़ोतरी की जाए.
अब तक परंपरागत हथियारों के बाज़ार पर अमरीका, रूस, चीन और इजरायल जैसे मुल्क का एकाधिकार था. लेकिन अब पिछले कुछ सालों में भारत का दखल काफ़ी बढ़ा है. इसके पीछे डिफेंस सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता सबसे बड़ी वजह है. जिसके चलते भारत न सिर्फ अपनी डिफेंस ज़रूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि दुनिया के देशों ये उपकरण बेचने की ओर भी बढ़ रहा है.
लद्दाख में इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल तैनात-
भारत ने चीन के साथ लद्दाख में सीमा विवाद के बाद अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने पर लगातार ध्यान दिया है. इसी का नतीजा है कि भारतीय सेना को चीनी अतिक्रमण से निपटने के लिए लद्दाख में नए लड़ाकू वाहन मुहैया कराए गए हैं. अब लद्दाख में भारतीय सेना की पकड़ को और मजबूत किया जा सकता है. भारतीय सेना को मिले इन नए लड़ाकू वाहनों को पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले पठारी क्षेत्र में व्यापक परीक्षण के बाद शामिल किया गया है. इन वाहनों का नाम इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल बताया जा रहा है. ये भारतीय सैन्य शक्ति के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम हैं, क्योंकि ये वाहन पूरी तरह स्वदेशी हैं.
बताया ये भी जा रहा है कि लद्दाख में भारतीय सेना को मिले यह नए लड़ाकू वाहन काफी अत्याधुनिक हैं जो 16,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुर्गम से दुर्गम इलाके में तेजी से काम करने के लिए बेहतर माने जा रहे हैं. इन नए लड़ाकू वाहनों का इस्तेमाल तेजी से गश्त करने और टोही और आक्रामक अभियानों जैसे अलग अलग टास्क के लिए सैनिकों को तेजी से ले जाने के लिए किया जा सकता है.
पूरी तरह से बुलेटप्रूफ सुरक्षा प्रदान करने वाले इन वाहनों को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की ओर से पूरी तरह स्वदेशी रूप से बनाया गया है. बताया जा रहा है कि इन वाहनों की जरुरत लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर सैन्य संघर्ष के चरम पर पहुंचने पर महसूस की गई थी. जिसके बाद भारतीय सेना ने दो साल पहले परीक्षण शुरू कर दिया था और अब ये भारतीय सेना के जवानों को सौंप दिए गए हैं.
नए लड़ाकू वाहन की खूबियां-
भारतीय सेना को मिले ये लड़ाकू वाहन किसी भी तरह के इलाके में युद्ध और संघर्ष के समय तगड़ा जवाब दे सकता है. साथ ही अपने सैनिकों को सुरक्षित भी रख सकता है. इस पर ना तो गोलियों का असर होता हा और ना ही बम और बारूदी सुरंग का. ये लड़ाकू वाहन कई प्रकार की अत्याधुनिक खूबियों से लैस है.
इन लड़ाकू वाहनों को युद्ध के समय हर तरह के इलाकों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिहाज से तैयार किया गया है.
सेना की ताकत में इजाफा-
लद्दाख में पिछले काफी वक्त से भारत और चीन के बीच विवाद होता रहा है. ऐसे में भारत एलएसी के आसपास अपनी सेना को मज़बूत बनाने की कोशिश में जुटा है. इसी कड़ी में पिछले महीने 24 जून को खास इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल को लद्दाख में तैनात किया गया था. इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स मेड इन इंडिया है. ये गाड़ियां ना सिर्फ देश के जवानों का सुरक्षा कवच हैं बल्कि सरहद के एलएसी के दुर्गम रास्तों पर भी इनकी रफ्तार कम नहीं होती.
ज़ाहिर है TASL के इन वाहनों से भारतीय सेना की ताकत दोगुनी हो गई है. बदलते वक्त के साथ चुनौतियां भी हाईटेक हो रही हैं. तकनीक के दम पर दुश्मन साजिशों का ताना बाना बुनने में जुटे है. ऐसे में भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए भारत ने भी जबरदस्त तैयारी शुरू कर दी है. जिसका ये सिर्फ एक नमूना हैं.
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