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नए अवतार में दिखेगी इंडियन आर्मी! डिजिटल पैटर्न में होगी नई यूनिफॉर्म, अगले साल होगी लॉन्च

Indian Army New Uniform: इस नयी यूनिफॉर्म को 15 जनवरी 2022 को सेना दिवस पर होने वाली परेड में प्रदर्शित किया जाएगा. कॉम्बैट्स को बदलने पर काफी समय से विचार किया जा रहा था. इसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी. सूत्रों ने कहा कि आर्मी की इस नई यूनिफॉर्म को, दुनिया भर की प्रमुख सेनाओं द्वारा पहनी जाने वाली अलग-अलग यूनिफॉर्म को केंद्र में रखकर काफी अध्ययन के बाद शॉर्टलिस्ट किया गया है.

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हाइलाइट्स
  • नई यूनिफॉर्म को 15 जनवरी 2022 को सेना दिवस पर होने वाली परेड में प्रदर्शित किया जाएगा

  • काफी अध्ययन के बाद किया गया है शॉर्टलिस्ट

  • काफी समय से थी नयी यूनिफॉर्म की जरूरत

Indian Army New Uniform: इंडियन आर्मी जल्द ही अपने यूनिफॉर्म के पैटर्न को बदलने वाली है. अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि सेना अपने दशकों पुराने कॉम्बैट्स को बदलने वाली है. अगले साल आने वाली इंडियन आर्मी की ये नई यूनिफॉर्म  डिजिटल पैटर्न वाली होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना एक नई रेगुलर यूनिफॉर्म पर भी काम कर रही है, जो अभी इस्तेमाल होने वाले ओलिव ग्रीन (Olive Green) यूनिफॉर्म से काफी अलग होगी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ने इस नई यूनिफॉर्म को बनाने में आर्मी की  मदद की है.

अगले साल हो सकती है लॉन्च 

एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल कैमोफ्लेज पैटर्न (digital camouflage pattern) वाली नई यूनिफॉर्म, ब्रिटिश सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वर्दी के जैसी है. इस नयी यूनिफॉर्म को 15 जनवरी 2022 को सेना दिवस पर होने वाली परेड में प्रदर्शित किया जाएगा. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगस्त 2022 तक इसे आर्मी में पेश किए जाने की उम्मीद है. ये डिजीटल प्रिंट पहाड़ों, रेगिस्तानों और जंगलों जैसे इलाकों के साथ ही अलग होगा. 

काफी अध्ययन के बाद किया गया है शॉर्टलिस्ट 

दरअसल, आधिकारिक रूप से कैमोफ्लेज या बैटल ड्रेस यूनिफॉर्म (BDU) को युद्ध के लिए एक स्टॅंडर्ड यूनिफॉर्म माना जाता है. ये वर्दी या तो मोनोक्रोम में होती हैं, जैसे कि हरे या भूरे रंग के रंगों में जो बैकग्राउंड के साथ आसानी से मिक्स हो जाएं या भारतीय नौसेना और कुछ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तरह के यूनिफॉर्म  पैटर्न में. सूत्रों ने कहा कि आर्मी की इस नई यूनिफॉर्म को, दुनिया भर की प्रमुख सेनाओं द्वारा पहनी जाने वाली अलग-अलग यूनिफॉर्म को केंद्र में रखकर काफी अध्ययन के बाद शॉर्टलिस्ट किया गया है.  

काफी समय से थी नई यूनिफॉर्म की जरूरत 

विशेषज्ञों के अनुसार, कॉम्बैट्स को बदलने पर काफी समय से विचार किया जा रहा था. इसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी. उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि “कपड़े की गुणवत्ता अन्य आधुनिक सेनाओं की वर्दी की तुलना में उतनी अच्छी नहीं थी. इसके अलावा, पैटर्न की यूनिफॉर्मिटी का भी मुद्दा था. इसके साथ डिजीटल प्रिंट में इस यूनिफॉर्म का होना सेना के लिए भी जरूरी था.”