
बायो-जेट फ्यूल (Bio Jet Fuel) के उत्पादन के लिए सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून की घरेलू तकनीक को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने मंजूरी दे दी है. अब इस ग्रीन फ्यूल का इस्तेमाल भारतीय मिलिट्री विमानों में किया जा सकेगा. एयरफोर्स के विंग कमांडर ए सचान और CEMILAC के आर शनुमगावेल कहते हैं कि ये मंजूरी बताती है कि बायो-फ्यूल सेक्टर में भारत आगे बढ़ रहा है और आत्मनिर्भर हो रहा है.
Indian Bio-Jet Fuel Technology Receives Formal Military Certification
— PIB India (@PIB_India) November 29, 2021
This certification represents India’s growing confidence in aviation biofuel sector and another step towards ‘Atmanirbhar Bharat’.
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इससे पहले हुई हैं कई टेस्ट फ्लाइट्स
गौरतलब है कि इससे पहले, 26 जनवरी 2019 को, मिक्स्ड बायो-जेट फ्यूल एएन-32 एयरक्राफ्ट राज पथ के ऊपर उड़ाया गया था. इसके बाद, इसका टेस्ट तब किया गया जब रूसी मिलिट्री एयरक्राफ्ट को लेह एयरपोर्ट से 30 जनवरी 2020 को उड़ाया गया. 27 अगस्त 2018 को देहरादून से दिल्ली के लिए स्पाइसजेट ने भी इस फ्यूल का उपयोग किया था. ग्रीन फ्यूल के साथ ये सभी टेस्ट फ्लाइट्स सफल रही थीं.
पिछले तीन साल में हुए हैं कई टेस्ट एंड ट्रायल्स
दरअसल, फ्यूल किसी भी विमान की लाइफलाइन होता है और इसीलिए इसे चुनने में काफी मूल्यांकन करना पड़ता है. भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) द्वारा बनाई गयी इस टेक्नोलॉजी के पिछले तीन सालों में कई टेस्ट्स और ट्रायल्स हुए हैं. ये मंजूरी भारतीय आर्मी को अपने सभी विमानों में स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके बायो-जेट फ्यूल का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी.
कैसे बनता है बायो-फ्यूल?
आपको बता दें, इस बायो-जेट फ्यूल का उत्पादन खाना पकाने वाले तेल, पेड़ से पैदा होने वाले तेलों, किसानों द्वारा ऑफ-सीजन में उगाई जाने वाली तिलहन फसलों और दूसरे एडिबल ऑयल से किया जा सकता है. यह अन्य जेट ईंधन की तुलना में अपने कम सल्फर कंटेंट के कारण वायु प्रदूषण को कम करेगा. इसके साथ ये भारत के नेट-जीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन (Net zero greenhouse gas emission) के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद करेगा. साथ ही यह तेलों के उत्पादन, संग्रह और निकालने में लगे किसानों और आदिवासियों की आजीविका को भी बढ़ाएगा.