scorecardresearch

Indian Navy Day: भारतीय नौसेना दिवस उत्सव के लिए चुना गया सिंधुदुर्ग किला, शिवाजी महाराज से जुड़ा है इतिहास

Indian Navy Day: भारतीय नौसेना दिवस भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है और वे इसे बड़े गर्व और वीरता के साथ मनाते हैं. इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने की तैयारी बहुत पहले शुरू हो जाती है.

Sindhudurg Fort Sindhudurg Fort

इस साल, 4 दिसंबर को मनाए जाने वाले नौसेना दिवस को चिह्नित करने के लिए, भारतीय नौसेना उत्सव के लिए पश्चिमी तट - महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले को चुना गया. नौसेना विभिन्न क्षमताओं वाले विभिन्न जहाजों का विस्तृत प्रदर्शन करेगी. सूत्रों ने बताया कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य, अन्य जहाजों के अलावा, सोमवार को ऑपरेशनल डेमो में भाग लेने वाला है.

यह वार्षिक उत्सव 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान किए गए ऑपरेशन ट्राइडेंट के दौरान कराची बंदरगाह पर भारतीय नौसेना के हमले की याद दिलाता है. भारतीय नौसेना की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस साल के डेमो में मिग-29के और एलसीए नेवी सहित 40 विमानों के साथ 20 युद्धपोतों की भागीदारी होगी. साथ ही, भारतीय समुद्री कमांडो द्वारा एक लड़ाकू समुद्र तट टोही और हमले का डेमो भी शामिल होगा. इसमें उच्च गति वाली नावें, स्काई डाइवर्स, खोज और बचाव डेमो, विभिन्न हेलीकॉप्टर अभ्यासों के साथ कैपिटल युद्धपोतों की स्ट्रीमिंग और विमान और हेलीकॉप्टरों द्वारा फ्लाईपास्ट की सुविधा भी होगी. 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिसंबर को मालवन के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं, जिसके बाद वह समारोह में भाग लेंगे और ऑपरेशनल डेमो देखेंगे. 

दिल्ली से बाहर नेवी डे का उत्सव
नौसेना ने सिंधुदुर्ग में ऑपरेशनल डेमो आयोजित करने का फैसला क्यों किया, इस पर रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, “यह सेना, नौसेना और वायु सेना दिवस समारोहों को बड़े जुड़ाव के लिए दिल्ली को नई जगह से रिप्लेस करने की भारत सरकार की हालिया नीति का एक हिस्सा है.” पिछले साल नौसेना दिवस विशाखापत्तनम में मनाया गया था. इसके अलावा, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में नौसेना दिवस समारोह आयोजित करने के पीछे की सोच इसलिए भी है क्योंकि साल 2023 में राजा शिवाजी के राज्याभिषेक का 350वां वर्ष मनाया जा रहा है.

सिंधुदुर्ग किले के बारे में
सिंधुदुर्ग का किला, महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर अरब सागर में एक द्वीप किला है. जिसे मराठा राजा शिवाजी ने 1664 और 1667 ई. के बीच बनाया था. यह किला महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है. किला मालवन से लगभग 1.6 किमी दूर कुर्ते नामक एक निचले द्वीप पर बनाया गया है. सिंधुदुर्ग के सामने, पदमगढ़ नामक एक छोटा खंडहर किला, एक छोटे से द्वीप पर बनाया गया था जो मराठा नौसेना के लिए एक शिपयार्ड के रूप में काम करता था.

मराठा नौसैनिक युद्ध से अच्छी तरह वाकिफ थे. और उस समय की महान शक्तियों, जैसे पुर्तगाली, अंग्रेजी और डच के खिलाफ कोंकण के तट पर उन्होंने सिंधुदुर्ग किले में एक गढ़ स्थापित किया. किले को जिस मुख्य दुश्मन से बचाने के लिए बनाया गया था, वह जंजीरा के सिद्दी थे. 5 दिसंबर 1664 को सिंधुदुर्ग की आधारशिला रखी गई थी. 

डॉ. बी.के. आप्टे ने अपनी पुस्तक, ए हिस्ट्री ऑफ़ द मराठा नेवी एंड मर्चेंट शिप्स में लिखा है कि सिंधुदुर्ग उन नौसैनिक किलों में से एक था जिसे शिवाजी ने 1653-1680 तक पूरा किया था. अन्य किलों में विजयदुर्ग, सुवर्णदुर्ग और कोलाबा शामिल थे. उन्होंने लिखा, "सिंधुदुर्ग - इस किले का निर्माण शिवाजी ने रत्नागिरी जिले के दक्षिणी छोर पर तब किया था, जब जंजीरा द्वीप के किले पर कब्ज़ा करने के उनके सभी प्रयास व्यर्थ साबित हुए थे."

मनोहर माल्गोनकर द्वारा लिखित एक अन्य पुस्तक - द सी हॉक के अनुसार - शिवाजी ने कोंकण तट पर 13 नए समुद्र तटीय किले बनाए. फिलहाल, इनमें से सबसे अच्छी तरह से संरक्षित सिंधु-दुर्ग है, जो मालवान के पास एक द्वीप पर बनाया गया था, जिसे मराठा नौसैनिक बल का मुख्यालय बनने के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कभी नहीं बनाया गया. विभिन्न ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, किला 48 एकड़ में फैला है और इसमें 16वीं शताब्दी में बनाया गया एक अंडरवाटर पैसेज है.

सिंधुदुर्ग किले के निर्माण के बाद मराठा नौसैनिक कौशल में बढ़ोतरी हुई. डॉ. पी.एस. पिसुरलेंकर की लिखी पुर्तगाली मराठा रिलेशंस के अनुसार, "चौल के कप्तान ने अगस्त 1664 में गोवा के गवर्नर को लिखा था कि शिवाजी ऊपरी चौल में 50 जहाज बना रहे थे और उनमें से सात समुद्र में जाने के लिए तैयार थे." पुर्तगालियों ने शिवाजी की निरंतर बढ़ती हुई शक्ति को देखते हुए उनके मार्ग में बाधा न डालने की नीति अपनाई. शिवाजी की नौसेना इतनी हद तक और इतनी तेजी से मजबूत होती चली गई कि 1667 के अंत तक पुर्तगाली उनसे डरने लगे थे. इस किले के गौरवशाली इतिहास के कारण ही इसे Indian Navy Day के सेलिब्रेशन के लिए चुना गया.