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Underwater SWARM Drones की हर तरफ हो रही है चर्चा, जानिए कैसे भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत बढ़ाएंगे ये ड्रोन्स

Indian Navy का सेमिनार स्वावलंबन 2023 भारत मंडपम में 04-04 अक्टूबर 2023 को आयोजित किया जा रहा है. इसमें नौसेना अपनी स्वदेशी तकनीकों और हथियारों का प्रदर्शित करेगी.

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04-05 अक्टूबर को भारत मंडपम में भारतीय नौसेना स्वावलंबन सेमिनार के दौरान 75 नई स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन करेगी. इन तकनीकों में अल्ट्रा एंड्योरेंस स्वार्म ड्रोन से लेकर अग्निशमन प्रणालियों और अंडरवाटर एप्लिकेशन्स के लिए ब्लू-ग्रीन लेजर्स शामिल हैं. 

नौसेना पिछले साल जुलाई में नेवल इनोवेशन एंड इंडिग्नेशन ऑर्गनाइजेशन (एनआईआईओ) सेमिनार में शुरू की गई 'स्प्रिंट' पहल के तहत नए उत्पादों के विकास को प्रोत्साहित कर रही है. इन उत्पादों को रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना के प्रौद्योगिकी विकास त्वरण सेल की रक्षा उत्कृष्टता योजना के लिए नवाचार के तहत विकसित किया जा रहा है. 

इस बार के सेमिनार में प्रदर्शित होने वाले हथियारों में अंडरवाटर SWARM ड्रोन्स की काफी चर्चा हो रही है. आखिर क्यों खास हैं ये ड्रोन्स और क्या हैं इनकी विशेषताएं. 

नेवी करेगी अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स का प्रदर्शन
इन अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स को 'अनमैन्ड अंडरवाटर व्हीकल' (UUV) के रूप में भी जाना जाता है. इन्हें पानी के भीतर ऑपरेट किया जा सकता है और इन्हें चलाने के लिए किसी सैनिक को इसमें बैठने की जरूरत नहीं पड़ती है. यह हथियार दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है- पहला, जो 'रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल' है और इसे एक सैनिक रिमोट के जरिए ऑपरेट करता है. दूसरा 'ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल' है जो बिना किसी और के इनपुट के ऑटोमैटिक रूप से काम करता है. 

इन दोनों में से रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. इसे एक ऑपरेटर कंट्रोल करता है और इसके जरिए समुद्र में निगरानी और पेट्रोलिंग के काम किया जाता है. आपको बता दें कि अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स का वजन कुछ किलो से लेकर कुछ हजार किलों तक हो सकता है. ये ड्रोन्स हजारों किलोमीटर का सफर तय कर सकते हैं और समुद्र में कई हजार मीटर की गहराई तक जा सकते हैं. 

भारतीय नौसेना का मकसद है कि इन ड्रोन्स का एक पूरा बेड़ा तैनात करने का है. नौसेना ज्यादा से ज्यादा संख्या में अंडरवाटर ड्रोन्स तैनात करेगी जो पानी के भीतर जाकर पेट्रोलिंग का काम करेंगे. इनके जरिए समुद्र के नीचे होने वाली खुफिया गतिविधियों को भी पता लगाया जा सकेगा. भारत से पहले अमेरिका, चीन समेत कई सारे देश इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब भारत को भी इस टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा. 

क्यों है इन ड्रोन्स की जरूरत 
अब सवाल है कि इन अंडरवाटर स्वार्म ड्रोन्स की जरूरत आखिर क्यों पड़ी? दरअसल, यह जरूरत चीन से बढ़ते विवाद के कारण सामने आई. चीनी सेना हिंद महासागर में निगरानी और खोज अभियान के लिए लंबे समय से अंडरवाटर ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है. चीन इसके जरिए हिंद महासागर में भारतीय जहाजों की जासूसी भी कर सकता है. चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत को स्वार्म ड्रोन्स की जरूरत महसूस हुई. अब भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन्स को अपने स्वदेशी हथियारों के बेड़े में शामिल कर लिया है.