भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले कुछ सालों में भारतीय नौसेना में मॉडर्न और बेहद ही ताकतवर जंगी जहाज और पांडुपी को शामिल किया गया है, जो भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा के लिए तैनात है. वही पिछले कुछ समय में जितने भी जंगी जहाज और पनडुब्बी शामिल किए गए है, वो सारे मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए हैं.
आधुनिक और ताकतवर हथियार होंगे शामिल
ऐसे में आने वाले दिनों में और भी बेहद आधुनिक और ताकतवर हथियार भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहे हैं. ऐसे में अब जल्द ही भारतीय नौसेना को एक ऑटोनोमस आर्म्ड बोट स्वर्म्स मिलने जा रही है. भारतीय नौसेना ने सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
घरेलू कंपनियों द्वारा आला रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक पहल 'स्प्रिंट', यह ऑटोनोमस आर्म्ड बोट स्वर्म्स
'स्प्रिंट' पहल के तहत 50 वां अनुबंध है. इस पहल के तहत नौसेना के लिए उद्योग द्वारा 75 स्वदेशी तकनीकों का विकास करना है. ऐसे में भारतीय नौसेना अपनी ताकत में और इजाफा करने के लिए जनवरी के अंत तक 100वें अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की कोशिश कर रही है.
देश का पहला सशस्त्र स्वायत्त मानव रहित नाव
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्रा. लिमिटेड के पास झुंड की क्षमताओं के साथ देश की पहली सशस्त्र स्वायत्त मानव रहित नाव बनाने की जानकारी है. समझौता डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC 7) SPRINT पहल की एक भारतीय नौसेना परियोजना को संदर्भित करता है, और भारतीय नौसेना को उम्मीद है कि हथियारबंद स्वायत्त मानव रहित नाव के निर्माण के बाद 12 प्रणालियों के लिए एक आदेश दिया जाएगा. हाई-स्पीड इंटरडिक्शन, सर्विलांस, कांस्टेबुलरी ऑपरेशंस, C4ISR, और लो-इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशंस सहित हमारे USV के माध्यम से नौसेना और सुरक्षा कार्यों की एक श्रृंखला का संचालन करके, कंपनी भारत की समुद्री सुरक्षा की जरूरतों का जवाब देने का इरादा रखती है.
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग के संस्थापक और प्रबंध निदेशक कैप्टन निकुंज पराशर ने कहा, "हमने अगले 25 वर्षों के भीतर भारत को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण आधार बनाने के देश के उद्देश्य की दिशा में काफी प्रगति की है. भारतीय नौसेना की iDEX-DIO (DISC 7) SPRINT पहल से बड़ा मंच नहीं हो सकता है.