रेल में सफर करते समय आपके दिमाग में एक बात हमेशा रहती है. काश खिड़की वाली सीट मिल जाए. रेल के सफर का आनंद भी तभी है जब ट्रेन में विंडो सीट मिले. बाहर के नजारों का आनंद लेते रहें. ऐसे में कई बार आपको लगता होगा कि आखिर विंडो सीट आपको कैसे मिलेगी. असल में ट्रेन में यात्रा के दौरान विंडो सीट को लेकर नियम बनाए गए हैं. स्लीपर या एसी कोच में सीट लोअर, मिडिल या अपर के ऑर्डर में होती हैं.
लोअर बर्थ को लेकर रेलवे में सबसे पहले प्राथमिकता बुजुर्गो के लिए दी गई है. इसके अलावा फिजिकली चैलेंज लोगों को भी रेलवे की तरफ से लोअर बर्थ आवंटन में प्राथमिकता दी जाती है. विंडो सीट पर बैठने का अलोकेशन चेयर कार में होता है. यह स्लीपर या एसी कोच में नहीं होता. माना जाता है कि लोवर सीट में विंडो की तरफ होने वाली सीट पर लोवर सीट वाले यात्री को बैठने का अधिकार होता है.
असल में लोअर बर्थ कोटा सिर्फ 60 साल और उससे ज्यादा की उम्र के पुरुषों के लिए होता है. वहीं 45 साल और उससे भी अधिक उम्र की महिलाओं के लिए भी लोअर बर्थ निर्धारित की गई है.
असल में लोअर बर्थ पर सफर करने वाले को ही विंडो सीट पर अधिकार माना जाएगा, आम तौर लोअर बर्थ सीनियर सिटीजन को ही अलॉट की जाती है या उनको प्राथमिकता दी जाती है. आपको बता दें रेलवे की तरफ से लोअर बर्थ और मिडिल बर्थ पर सफर करने वालो के लिए नियम बनाए गए हैं.
रात में 10 बजे से 6 बजे तक मिडिल बर्थ खोली जा सकती है.
मिडिल बर्थ ओपन करने से पहले लोअर बर्थ वाले को 3 बार सूचना देनी होती है.
मिडिल बर्थ अगर सुबह 6 बजे तक नहीं बंद की जाती तो लोअर बर्थ पर आरक्षित यात्री इसकी सूचना टीटीई को दे सकता है.