भारतीय रेल नेटवर्क रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. यह देश का लाइफलाइन है. करोड़ों लोग रोज एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए रेलवे का सफर करते हैं. आपने भी कभी न कभी ट्रेन में सफर जरूर किया होगा. ऐसे में आपकी नजर रेलवे स्टेशनों के नाम के पीछे लिखे जंक्शन, टर्निमल, टर्मिनस और सेंट्रल पर जरूर गई होगी. जैसे कानपूर सेंट्रल और दिल्ली जंक्शन आदि. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर रेलवे स्टेशन के नाम में लगे जंक्शन, टर्निमल और सेंट्रल का क्या मतलब होता है. इन सबों में क्या अंतर है. आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
जंक्शन का क्या मतलब है ?
अगर किसी रेलवे स्टेशन के नाम के पीछे जंक्शन लिखा है तो इसका मतलब होता है कि उस स्टेशन पर कम से कम तीन अलग-अलग रूट से ट्रेनें आती है. यानी वो शहर का सबसे बड़ा स्टेशन होता है और उस स्टेशन पर एक साथ दो या दो से अधिक ट्रेनें एक बार में आ जा सकती है. ऐसे स्टेशनों का उदाहरण देखें तो वो हैं दिल्ली जंक्शन, गोरखपुर जंक्शन, मथुरा जंक्शन, हावड़ा जंक्शन आदि.
सेंट्रल स्टेशन
अगर किसी स्टेशन के आखिर में सेन्ट्रल लिखा है तो इसका मतलब है कि वह स्टेशन शहर का सबसे पुराना, महत्वपूर्ण और व्यस्त स्टेशन है और उस शहर में एक से ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं. ऐसे स्टेशनों से सबसे अधिक ट्रेनें गुजरती हैं. इस समय पुरे देश में कुल 5 सेन्ट्रल स्टेशन हैं, और वो हैं मुंबई सेंट्रल, कानपुर सेंट्रल, चेन्नई सेंट्रल, त्रिवेंद्रम सेंट्रल और मैंगलोर सेंट्रल.
टर्मिनल/टर्मिनस स्टेशन
टर्मिनल या टर्मिनस स्टेशन एक ही होते हैं. अगर किसी रेलवे स्टेशन के नाम के पीछे टर्मिनल या टर्मिनस लिखा है इसका मतलब है कि उस स्टेशन पर आने वाली ट्रेनें आगे नहीं जाएगी. वह रूट का आखिरी स्टेशन होता है. ट्रेनें ऐसे स्टेशनों तक आती हैं फिर वहां से अपने सफर पर वापस जाती है. ऐसे स्टेशनों के आगे ट्रैक नहीं बने होते. उदाहरण से समझिए जैसे आनंद विहार टर्मिनल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, अमरावती टर्मिनस आदि. ट्रेन इन स्टेशनों पर आने के बाग आगे नहीं जाती.
रोज चलती हैं इतनी ट्रेनें
देश में इस समय लगभग 64,000 किलोमीटर रेलमार्ग और करीबन 7,349 रेलवे स्टेशन हैं. इन स्टेशनों से रोज 20 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनें और 7 हजार से अधिक मालगाड़ियां गुजरती हैं.