सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है. इस मौसम में पड़ने वाला कोहरा एक तरफ जहां आम लोगों को परेशान करता है, वहीं इसका एक बड़ा असर रेल यातायात पर भी पड़ता है.घने कोहरे की वजह से विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है और ऐसे में ट्रेनों को चलाना बड़ा ही मुश्किल भरा काम होता है.घने कोहरे के कहर से बचने के लिए भारतीय रेलवे तमाम तरह के इंतजाम करता रहता है ताकि ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाया जा सके.कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए रेलवे की ओर से फॉग सेफ डिवाइस का प्रयोग किया जाता है. इसके इस्तेमाल से लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी मदद मिलती है. आइए जानते हैं कि फॉग सेफ डिवाइस क्या है और यह कैसे काम करती है. इस डिवाइस के इस्तेमाल से ट्रेनों को चलाने में कैसे मदद मिलती है.
क्या है फॉग सेफ डिवाइस
फॉग सेफ डिवाइस एक बैटरी ऑपरेटेड यंत्र है जिसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है. इसमें जीपीएस की भी सुविधा होती है.इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है जिसे इंजन के बाहरी हिस्से में फिक्स कर दिया जाता है.यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल को रिसीव करने के लिए लगाया जाता है.इसमें एक मेमोरी चिप लगी होती है जिसमें रेलवे का रूट फिक्स होता है.खास बात यह होती है कि इसमें रूट में पड़ने वाले लेवल क्रॉसिंग जनरल क्रॉसिंग सिग्नल और रेलवे स्टेशन तक की जानकारी पहले से ही फीड होती है.
इस तरह से करती है काम
दरअसल ट्रेनों का परिचालन सिग्नल प्रणाली के आधार पर किया जाता है.घने कोहरे के चलते सिग्नल दिखाई नहीं देता है.जिसकी वजह से ट्रेनों को चलाने में काफी परेशानी होती है.ऐसे में घने कोहरे के दौरान ड्राइवर को सिग्नल खोजने में काफी परेशानी होती थी और ट्रेनों को काफी कम गति से चलाना पड़ता था ताकि सिग्नल क्रॉस न हो सके.लेकिन फॉग सेफ डिवाइस के इजाद होने के बाद ट्रेन के चालकों को काफी सहूलियत मिलती है.
इस डिवाइस के माध्यम से लोको पायलट को न सिर्फ आगे आने वाले सिग्नल की जानकारी मिल जाती है.बल्कि रास्ते में पड़ने वाले तमाम तरह के क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों की भी जानकारी पहले ही मिल जाती है. क्योंकि इस डिवाइस में उस रूट में पड़ने वाले तमाम सिग्नल स्टेशन और लेवल क्रॉसिंग आदि की जानकारी पहले से ही फीड रहती है.उदाहरण के तौर पर अगर दिल्ली से पटना के लिए इसका रूट तय किया जाता है तो दिल्ली से पटना के बीच में पड़ने वाले तमाम सिग्नल्स, लेवल क्रॉसिंग, रेलवे क्रॉसिंग और स्टेशनों की जानकारी इस डिवाइस में पहले से ही फीड रहती है.
पहले से रूट को कर दिया जाता है तय
फॉग सेफ डिवाइस को इस्तेमाल करने से पहले इसमें रूट को तय किया जाता है. ट्रेन जब चलती है तो यह डिवाइस तीन किलोमीटर पहले मैसेज देती है कि तीन किलोमीटर के बाद सिग्नल, क्रॉसिंग या स्टेशन आने वाला है.इसके बाद इस डिवाइस में दूसरा सिग्नल तब मिलता है जब ट्रेन किसी लेवल क्रॉसिंग, स्टेशन या सिग्नल से ट्रेन 500 मीटर दूर रहती है.इस डिवाइस से मिले सिग्नल के आधार पर लोको पायलट सतर्क हो जाता है और ट्रेन को चलाने में आसानी होती है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के चीफ क्रू कंट्रोलर सुमित कुमार भट्टाचार्य बताते हैं कि फॉग सेफ डिवाइस ट्रेनों को चलाने का एक सहायक यंत्र है.जिसके इस्तेमाल से ट्रेनों को चलाने में लोको पायलट को काफी सहूलियत मिलती है.
(उदय गुप्ता की रिपोर्ट)