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यूक्रेन से जैसे-तैसे जान बचाकर निकले, लेकिन वतन लौटने की बजाय बुडापेस्ट में वॉलंटियर बन कर रहे दूसरों की मदद

हंगरी में भारत के दूतावास ने बुडापेस्ट में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों और स्थानीय नागरिकों से मदद मांगी तो बड़ी संख्या में छात्र इस काम के लिए आगे आये. ये सभी बच्चे वॉलिंटियर बन कर यूक्रेन से आने वाले छात्रों को सकुशल पहुंचाने के मिशन में जुटे हुए हैं. सिमरन और उनके दोस्त कार्तिक अपनी परेशानी को भूलकर दूसरे लोगों की मदद में जुटे हुए हैं. 

Indian students helping others in Budapest Indian students helping others in Budapest
हाइलाइट्स
  • भारतीय दूतावास की मदद कर रहे हैं बुडापेस्ट में पढ़ने वाले भारतीय छात्र

  • यूक्रेन से आने वाले भारतीय छात्रों के लिए दूतावास ने किया हॉस्टल का इंतजाम

रूस के हमले के बाद यूक्रेन एक बहुत बड़ी आपदा से गुजर रहा है. और लाखों लोग यूक्रेन छोड़कर पश्चिम में यूरोपीय देशों की ओर भाग रहे हैं. जाहिर है यूक्रेन छोड़ने वालों में भारतीय नागरिक और खासकर भारतीय छात्र शामिल हैं जो हजारों की संख्या में मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन में रह रहे थे. 

पिछले कई दिनों से ये छात्र यूरोप के अलग-अलग देशों की सीमाओं में प्रवेश कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है हरियाणा के करनाल की रहने वाली सिमरन मेहला. सिमरन यूक्रेन के ओडेसे इलाके में एमबीबीएस की चौथे साल की स्टूडेंट हैं. 

दो दिन की यात्रा के बाद सिमरन हंगरी के जाहोनी सीमा तक पहुंची और फिर वह बुडापेस्ट पहुंचने में कामयाब रहीं. भारतीय दूतावास ने यहां पर आने वाले भारतीय छात्रों के लिए कई हॉस्टल का बंदोबस्त किया हुआ है. और इन्हीं में से एक हॉस्टल में सिमरन अपने दोस्त कार्तिक साथ पहुंची. 

भारतीय दूतावास ने किया छात्रों के लिए हॉस्टल का इंतजाम

वतन वापस लौटने की बजाय कर रहे दूसरों की मदद: 

हॉस्टल पहुंचने के बाद सिमरन को भारत से भेजी जा रही फ्लाइट से वतन लौटना था. लेकिन सिमरन ने लौटने की बजाय उसी हॉस्टल में बतौर वॉलिंटियर काम करना शुरू कर दिया. हंगरी में भारत के दूतावास ने बुडापेस्ट में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों और स्थानीय नागरिकों से मदद मांगी तो बड़ी संख्या में छात्र इस काम के लिए आगे आये.

ये सभी बच्चे वॉलिंटियर बन कर यूक्रेन से आने वाले छात्रों को सकुशल पहुंचाने के मिशन में जुटे हुए हैं. सिमरन और उनके दोस्त कार्तिक अपनी परेशानी को भूलकर दूसरे लोगों की मदद में जुटे हुए हैं. 

ये दोनों छात्र अपनी परवाह किए बिना दूसरे बच्चों और नागरिकों के लिए बेहतर व्यवस्था कर रहे हैं. यूक्रेन में पढ़ने वाले बच्चे काफी मुश्किलें झेल कर यूरोप की सीमाओं तक पहुंच रहे हैं. लेकिन ऐसे में भी खुद से पहले दूसरों को रखकर, सिमरन जैसे छात्र हम सबके लिए मिसाल बने हुए हैं. 

(बुडापेस्ट से आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट)