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30 साल की उम्र में बच्चे पैदा करने के दायित्व से मुक्त हो रही हैं भारतीय महिलाएं, स्टडी में खुलासा

40-49 एज ग्रुप की करीब 11 फीसदी महिलाओं के बच्चे 40 साल की उम्र के बाद पैदा हुए हैं. जबकि 30 साल पहले ये आंकड़ा 23 फीसदी था. ये नतीजे साल 1992-93 और साल 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों की स्टडी के बाद सामने आए हैं. ये स्टडी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन स्टडीज के रिसर्चर्स ने किया है, जो हाल ही में साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ है.

भारतीय महिलाएं कम उम्र में बच्चे पैदा करना बंद कर रही हैं भारतीय महिलाएं कम उम्र में बच्चे पैदा करना बंद कर रही हैं

पिछले 3 दशक में भारत में महिलाओं की रिप्रोडक्टिव पीरियड कम हुई है. इसकी वजह है कि महिलाएं पहले की तुलना में कम उम्र में बच्चा पैदा करना बंद कर रही हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के डाटा से पता चलता है कि 40-49 एज ग्रुप की करीब 11 फीसदी महिलाओं के बच्चे 40 साल की उम्र के बाद पैदा हुए हैं. जबकि 30 साल पहले ये आंकड़ा 23 फीसदी था. इसी अवधि में बच्चे के जन्म के समय औसत उम्र 33 साल से घटकर 28 साल रह गई है. पहली बार साल 1992-93 में सर्वे हुआ था, जबकि आखिरी बार 2019-21 में हुआ है.

30 साल के बाद मां नहीं बनने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी-
ये स्टडी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन स्टडीज के रिसर्चर्स ने किया है, जो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का संचालन करता है. ये हाल ही में साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ था. स्टडी के मुताबिक साल 1992-93 में जिन महिलाओं ने सर्वे में हिस्सा लिया था, जिसमें से सिर्फ 35 फीसदी महिलाओं ने 30 साल की उम्र तक बच्चे पैदा करना बंद कर दिया था. लेकिन साल 2019-21 के सर्वे के मुताबिक ये आकंड़ा 64 फीसदी तक बढ़ गया है.
दिलचस्प बात यह है कि साल 2019-21 में 40 साल की उम्र तक मां बनने का प्रोसेस खत्म करने वाली महिलाओं का अनुपात पिछले दो सर्वे की तुलना में थोड़ा कम था. स्टडी में शामिल एक रिसर्चर चंद्र शेखर ने इसके दो कारण बताए. पहला कारण ये हो सकता है कि महिलाओं को पहला बच्चा अधिक उम्र में हुआ हो, ऐसे मामले में उनका दूसरा बच्चा भी देर से होता है. इसके अलावा फर्टिलिटी ट्रीटमेंट आम हो गया है और इसमें समय भी लगता है, इसलिए बच्चे का जन्म देर से हो सकता है.

रिप्रोडक्टिव पीरियड सबसे कम आंध्र में-
साल 2004-05 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक अंतिम बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की औसत उम्र तमिलनाडु में 26 साल थी, जबकि मेघालय में 33 साल थी. जबकि 2019-21 सर्वे के मुताबिक अंतिम बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की औसत उम्र सबसे कम आंध प्रदेश में है, जो 25 साल है. जबकि सबसे ज्यादा मेघालय में 30 साल है.

अशिक्षित महिलाओं में प्रेग्नेंसी की दर ज्यादा-
स्टडी के मुताबिक शादी के फौरन बाद बच्चा पैदा करने का दबाव और अशिक्षित महिलाओं में प्रेग्नेंसी की दर ज्यादा होती है. जिसकी वजह से ज्यादा उम्र तक बच्चे पैदा होते हैं. स्टडी के मुताबिक लंबे समय तक काम करने वाली महिलाओं देर से बच्चे पैदा करती हैं, जबकि महिलाएं काम नहीं करती हैं, वो जल्द ही बच्चे को जन्म देती हैं.

ज्यादा उम्र में प्रेग्नेंसी सेहत के लिए ठीक नहीं-
स्टडी में कहा गया है कि पॉलिसी का ज्यादा फोकस पहले बच्चे के जन्म के समय उम्र में देरी करने की जरूरत पर रहा है. लेकिन आखिरी बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की उम्र का असर मां और बच्चे की सेहत पर पड़ता है. कई स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि अधिक उम्र में मां बनने पर प्री-टर्म बर्थ, भ्रूण की विकृति और नवजात की मौत का रिस्क रहता है. ज्यादा उम्र में प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की कंप्लीकेशंस भी आती हैं.

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