विंग कमांडर राकेश शर्मा का नाम देशभर में सभी को याद है. वह अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे. राकेश का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था. उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. शर्मा को बचपन से ही विज्ञान में रूचि थी. बिगड़ी चीजों को बनाना उन्हें काफी पसंद था. हैदराबाद से पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन एनडीए में हो गया. 1970 में पहली बार IAF में बतौर पायलट कमीशन किए गए. अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले राकेश भारतीय सशस्त्र बलों में वायु सेना के पायलट के रूप में काम करते थे.
इसरो ने अभियान के लिए चुना था
20 सितंबर 1982 को इसरो ने राकेश शर्मा को अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के लिए चुना और 2 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा को दो कमांडर के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरने का मौका मिला. राकेश अंतरिक्ष में 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट रहे. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में योग समेत कई काम किए. अपने चयन के बाद उन्होंने USSR में यूरी गगारिन सेंटर में एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में प्रशिक्षण लिया, जहां उन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ खुद को साबित किया और सोवियत अंतरिक्ष विशेषज्ञों से प्रशंसा भी पाई. अंतरिक्षयात्रा से लौटने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था कि भारत ऊपर से कैसा दिखता है. उन्होंने जवाब दिया था मैं बिना किसी हिचकिचाहट के कह सकता हूं, सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा.राकेश शर्मा को हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें अशोक चक्र से भी नवाजा गया है.
राजघाट की मिट्टी भी ले गए थे साथ
राकेश शर्मा अपने साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राष्ट्रपति जैल सिंह, रक्षामंत्री वेंकटरमण और महात्मा गांधी की समाधि के चित्र ले गए थे. इसके साथ राजघाट की मिट्टी भी ले गए थे.
भारतीय भोजन को अंतरिक्ष में ले गए थे
राकेश शर्मा मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैब की मदद से भारतीय भोजन को अंतरिक्ष में ले गए. उन्होंने सूजी का हलवा, आलू छोले और वेज पुलाव पैक किया था, जिसे अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ शेयर भी किया. विंग कमांडर के पद से रिटायर होने पर राकेश शर्मा ने हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में काम किया. साल 2006 में शर्मा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक समिति में भाग लिया. जिसने देश में नए अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को मंजूरी दी.