भारतीय रेलवे (Indian Railway) के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है. जल्द ही देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) पटरी पर दौड़ने वाली है. इसका ट्रायल रन हरियाणा के जिंद और सोनीपत रेलवे स्टेशन के बीच होगा.
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने इस हाइड्रोजन ट्रेन का डिजाइन तैयार किया है. इस उपलब्धि के बाद भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने हाइड्रोजन से ईंधन बनाकर ट्रेन चलाने की पहल की है. हालांकि इतने बड़े पैमाने पर ये दुनिया का पहला प्रयोग होगा.
हाइड्रोजन ट्रेन की पहली तस्वीर जारी
हाइड्रोजन से बने ईंधन से चलने वाली देश की पहली ट्रेन का डिजाइन पूरी तरह से तैयार हो गया है. सभी औपचारिकताओं के बाद नए साल के शुरुआती तीन महीनों में ही इस ट्रेन का फाइनल ट्रायल होने की उम्मीद है. रेलवे उपकरण बनाने वाली RDSO ने हाइड्रोजन ट्रेन की तस्वीर जारी की है. दिसंबर 2021 में इस ट्रेन का पूरा डिजाइन तैयार किया गया था. तब से देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को लेकर काम चल रहा था.
ट्रेन की खूबियों को बताया
लखनऊ में आरडीएसओ के अंतरराष्ट्रीय इनोवेटिव रेल एक्सपो में इस हाइड्रोजन ट्रेन के डिजाइन को प्रदर्शित किया गया है. इसके साथ ही इसकी खूबियों को भी बताया गया.पहली हाइड्रोजन ट्रेन के बारे में आरडीएसओ के डायरेक्टर जेनरल उदय बोरवनकर ने बताया कि आरडीएसओ हमेशा नए और अभिनव काम पर ध्यान देती है. अब तक दुनिया भर में रोड ट्रांसपोर्ट में तो हाइड्रोजन फ्यूल प्रयोग हो रहा है पर रेलवे ट्रांसपोर्ट में कहीं बहुत सफल प्रयोग नहीं हो सका है.अब भारत इसको करेगा जो निश्चित रूप से बड़ी उपलब्धि होगी. यह सस्टेनेबल एनर्जी पर आधारित है.
इंटीग्रेशन का चल रहा काम
नमो ग्रीन रेल नाम इस मॉडल पर लिखा है लेकिन अधिकारियों के अनुसार लॉन्च होते समय इस ट्रेन का नाम रखा जाएगा. अभी हाइड्रोजन ट्रेन का कोई नाम नहीं रखा गया है. आरडीएसओ की ओर से तैयार इस हाइड्रोजन ट्रेन में 8 पैसेंजर कोच होंगे. 2638 यात्री एक बार में उसमें यात्रा कर पाएंगे. इसकी स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इसके अलावा तीन कोच हाइड्रोजन सिलिंडर के लिए भी होंगे. इसी में इंटीग्रेटेड फ्यूल सेल कनवर्टर, बैट्री, एयर रिजरवॉयर्स (Air Reservoirs) भी होगा. इसे कम दूरी तक की यात्रा के लिए उपयुक्त माना जा सकता है. फिलहाल चेन्नई के इंटेग्रल कोच फैक्ट्री (ICF Chennai) में इसके इंटीग्रेशन का काम चल रहा है.
सिर्फ जर्मनी में ही चल रही हाइड्रोजन ट्रेन
हाइड्रोजन पॉवर्ड ट्रेन में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन सेल्स से मिलने से बिजली बनती है, जिससे ट्रेन का मोटर चलता है. अब तक हाइड्रोजन फ्यूल पर जर्मनी, चीन जैसे देश काम कर चुके हैं लेकिन बड़े पैमाने पर कहीं भी ये प्रयोग सफल नहीं रहा है. सिर्फ जर्मनी में ही हाइड्रोजन ट्रेन दो बोगियों के साथ चल रही है. आरडीएसओ के डायरेक्टर जनरल उदय बोरवनकर कहते हैं कि ग्रीन एनर्जी पर अब बहुत ज़्यादा हमारा ध्यान है. ऐसे में इसपर काम होगा. आपको मालूम हो कि हाइड्रोजन ट्रेन, डीजल और अन्य जीवाश्म ईंधन से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में प्रदूषण को कम करने में सक्षम है.