भारत की पहली स्पाई सैटेलाइट 'आई इन द स्काई' आखिरकार एक दशक से अधिक समय तक आसमान से भारत की प्रहरी करने के बाद पृथ्वी पर लौट आई है. इसरो की ये रडार-इमेजिंग सैटेलाइट भारत की पहली स्पाई सैटेलाइट है, जिसे देश ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के तुरंत बाद लॉन्च किया था. अपनी सीमाओं और समुद्रों को सुरक्षित रखने के लिए, और पाकिस्तान पर दो बार 'सर्जिकल स्ट्राइक' शुरू करने के लिए अपनी पिक्चर का इस्तेमाल किया था.
सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में मदद
Risat-2 ने 13.5 वर्षों तक कई घुसपैठ विरोधी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने अपेक्षित जीवन काल से बहुत आगे जाकर अपना कर्तव्य निभाया. सैटेलाइट इमेज सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड और फरवरी 2019 में बालाकोट हवाई हमले पर सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में मदद की.
पानी के रास्तों पर रहती है नजर
2008 में 26/11 के आतंकी हमलों के बाद रिसैट-2 को बनाने का का तेज हो गया, क्योंकि भारत की स्वदेशी सैटेलाइट रिसैट-1 को सी-बैंड विकसित करने में देरी हो रही थी. इसीलिए रिसैट-2 को 2012 में रिसैट-1 के लॉन्च से तीन साल पहले 2009 में लॉन्च किया गया था. इसका इस्तेमाल हिंद महासागर और अरब सागर पर शत्रुतापूर्ण जहाजों को ट्रैक करने के लिए भी किया जाता था, जिन्हें सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता था.
बचाव के लिए भी किया जाता है उपयोग
उपग्रह का उपयोग बचाव अभियानों में भी किया गया था. इसका उपयोग 2 सितंबर, 2009 को आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के जीवन का दावा करने वाले हेलीकॉप्टर दुर्घटना के मलबे का पता लगाने के लिए किया गया था.