दंगल फिल्म का डायलॉग 'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के' आपने जरूर सुना होगा. अगर आपने फिल्म देखी हो तो गीता फोगाट और बबीता फोगाट को पुरुष पहलवानों को हराते भी देखा होगा लेकिन आज बात दंगल या फोगाट सिस्टर्स की नही, बात होगी हमीदा बानो की. उन्होंने 40 और 50 के दशक में बड़े बड़े पुरुष पहलवानों को चारों खाने चित कर दिया था. कहा जाता है कि उन्हें कोई पुरुष पहलवान हरा ही नहीं सका. आज गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. चलिए जानते हैं उनके बारे में.
बंगाल और पंजाब के चैंपियन पहलवानों को दी पटखनी
भारत की पहली महिला पहलवान हमीदा बानो 40 के दशक में भारत में सबसे लोकप्रिय पहलवानों में से एक थी. एक के बाद दंगल लड़ने और जीतने के बाद हमीदा ने साल 1954 ऐलान कर दिया कि जो भी उन्हें दंगल में हरा देगा वो उनसे शादी कर लेंगी. इस चैलेंज को बड़े बड़े दिग्गज पहलवानों ने स्वीकार किया. लेकिन हमीदा ने सबको धूल चटा दी. इस ऐलान के बाद सबसे पहले पंजाब और बंगाल के चैंपियन पहलवान खड़ग सिंह को हमीदा ने शिकस्त दी.
गूंगा और छोटे गामा पहलवान भी लड़ने से हट गए थे पीछे
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में जन्मी हमीदा बानो की दिलचस्पी बचपन से ही कुश्ती में थी. लेकिन घर में उस तरह का माहौल नहीं था. इसलिए वह अलीगढ़ आ गईं और सलाम पहलवान से कुश्ती सीखने लगीं. कड़ी ट्रेनिंग के बाद हमीदा दंगल के लिए उतरने लगीं. देशभर में उन्हें पहचान 1937 में मिली. इसी साल उन्होंने लाहौर के फिरोज खान का चित किया था. इसके बाद हमीदा छोटे मोटे मुकाबले जीतती रही. 1944 में तो गजब हो गया. उस वक्त के दिग्गज पहलवान गूंगा पहलवान से हमीदा का मुकाबला होना था, लेकिन ऐन मौके पर गूंगा पहलवान पीछे हट गए. इसके बाद छोटे गामा पहलवान भी लड़ने से पीछे हट गए. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमीदा का नाम 1954 में हुआ. उन्होंने इस साल दिग्गज बाबा पहलवान को हराया. कहते हैं कि इस हार के बाद बाबा पहलवान ने रेसलिंग से संन्यास ले लिया था.
विदेशी पहलवान भी नहीं टिक पाए
रूस की पहलवान वेरा चिस्टिलीन से साल 1954 में हमीदा का मुकाबला हुआ. रूस में वेरा चिस्टिलीन काफी फेमस थीं. लेकिन हमीदा ने एक मिनट के भीतर ही कुश्ती को अपने नाम कर लिया. इसके बाद उन्होंने यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने का ऐलान किया. हालांकि वह ऐसा कर नहीं सकीं. हमीदा के कोच और फिर बाद में पति सलाम पहलवान को ये अच्छा नहीं लगा कि वो यूरोप जाकर कुश्ती लड़ें और इसी वजह से हमीदा बानो के साथ मारपीट की.
इस मारपीट में हमीदा को गंभीर चोटें आईं.
खानपान भी जान लीजिए
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार साल 1954 तक वह 300 मुकाबला जीत चुकी थीं और वह ‘अमेजन ऑफ अलीगढ़’ के नाम से फेमस हो चुकी थीं. 5 फीट 3 इंच की हमीदा का वजन 108 किलो था. वह डेली 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप और 1.5 लीटर फ्रूट जूस पीती थीं. खाने में 1 किलो मटन, बादाम, आधा किलो घी खाती थीं.