
साल 2030 तक भारत की आधी से अधिक आबादी मिडिल क्लास में शामिल होगी. कल्चरल स्ट्रेटेजी फॉर फ्रीक्वेन्सी के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शिक्षित होने की वजह से कई लोग पीढ़ियों से चली आ रही गरीबी से बाहर निकल रहे हैं. वे अपने परिवार में पढ़े-लिखे होने वाले पहले शख्स बनकर मजदूरी करने के बजाय पेशेवर ढंग से नौकरी कर रहे हैं.
महिलाएं निभा रहीं प्रभावी भूमिका
रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया है कि महिलाएं आर्थिक शक्ति के रूप में सामने आ रही हैं. देश में आधे से अधिक मेडिकल स्टूडेंट्स लड़कियां हैं और 14 फीसदी बिजनेस का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं. यह आज की 25 साल से कम उम्र की जी या फिर ज़ी और अल्फा जेनरेशन है, जो कि उपभोग के क्षेत्र में प्रभावशाली भूमिका अदा कर रही है.
गांवों में सुविधाओं का विस्तार
देश में मिडिल क्लास की बढ़ती आबादी को लेकर हमने कुछ लोगों से बात की. एक व्यक्ति ने कहा, गांव में जीस तरह की सुविधाएं पहुंची हैं, गांव में आईटी विकसित हुआ है, गांव में इंटरनेट से जुड़ी हुई सुविधाएं बढ़ी हैं. सबसे बड़ी बात गांव से पलायन रुका है. अब गांव और शहर का बहुत मतलब नहीं रह गया है.
सरकारी प्रयास
सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों का भी उल्लेख किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक देश की आधी आबादी मध्यमवर्गीय परिवार में तब्दील हो जाएगी. मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या से पर्चासिंग पावर बढ़ेगी, जिससे मार्केट में डिमांड आएगी. एक विशेषज्ञ ने कहा, पर्चासिंग पावर बढ़ेगी तो मार्केट में डिमांड आएगी, डिमांड आएगी तो सप्लाई आएगी, सप्लाई आएगी तो मार्केट बड़ा होगा और ये मनी रोटेट होगी तो हर हाथ में पैसा पहुंचेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इससे देश की जीडीपी बढ़ेगी और देश एक विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ेगा.
रिपोर्ट में किया गया दावा
आबादी को आमतौर पर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है अपर क्लास, मिडिल क्लास और लोअर क्लास. साल 2024 में लगाए गए अनुमान के मुताबिक भारत में 10,00,00,000 से अधिक लोग अपर क्लास यानी कि संपन्न परिवारों की श्रेणी में आते हैं.अपर क्लास में शामिल व्यक्ति की सालाना आय 9 लाख से ₹12,00,000 से अधिक हो सकती है.
इसके बाद मिडिल क्लास परिवारों का नंबर आता है. आमतौर पर ऐसे परिवार तीन से ₹12,00,000 सालाना आय वाले होते हैं. यदि एक परिवार में चार सदस्य है और प्रति व्यक्ति सालाना आए ₹2,50,000 है तो पूरे परिवार की आय 10,00,000 होगी, जो की मिडिल क्लास परिवार कहलाएगा. मिडिल क्लास से नीचे के लोग लोअर क्लास में आते हैं, जिनकी सालाना आय ₹3,00,000 से भी कम होती है. एक अनुमान के मुताबिक देश में कम से कम 80,00,00,000 लोग लोअर क्लास कैटेगरी में आते हैं जो कि देश की आंधी आबादी से अधिक है. हालांकि अब नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2030 तक मिडिल क्लास परिवारों की संख्या देश की आंधी आबादी से अधिक हो जाएगी.