देश का पहला स्वदेशी इंडीजीनस एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत नेवी में कमीशन के लिए पूरी तरह से तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 सितंबर को आधिकारिक तौर पर इस पोत को भारतीय नौसेना को सौंपेंगे. ये भारत में निर्मित सबसे बड़ा युद्धपोत है. ये करीब 20 हजार करोड़ की लागत से बना हुआ है.
इसके ट्रायल के दौरान ही एयरक्राफ्ट कैरियर में ज्यादातर इक्विपमेंट और सिस्टम के अलावा एविएशन फैसिलिटी के ट्रायल के रूप में पूरी कर ली गई है. विक्रांत के आने से भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास खुद एयरक्राफ्ट डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है. आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए देश का पहला आईएसी विक्रांत नौसेना में कमीशन के लिए तैयार है.
क्या है इसकी खासियत?
आईएसी विक्रांत का वजन 40,000 टन है. इस पर 30 फाइटर जेट्स तैनात किए गए हैं. इनमें MiG-29K, Kamov-31 और MH-60R हेलिकॉप्टर शामिल हैं. इसके अलावा इसमें 2,300 से ज्यादा कंपार्टमेंट हैं. जिसे लगभग 1700 लोगों के लिए डिजाइन किया गया है. साथ ही इसमें महिला अधिकारियों के लिए स्पेशल केबिन भी बनाया गया है. इसकी टॉप स्पीड 23 नॉट्स है. ये एक बार में 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है. आईएसी विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है, वहीं इसकी चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर है. इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था. विक्रांत का फ्लाइट डेक दो फुटबॉल मैदान के बराबर है.
INS विक्रांत के नाम पर रखा गया नाम
इस पोत को भारतीय नौसेना के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. इस पोत का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत के नाम पर रखा गया है. INS विक्रांत अब रिटायर चुका है. जिसके साथ ही भारत के पास अभी सिर्फ एक एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज ‘INS विक्रमादित्य’ बचा है.
आत्मनिर्भर हो रहा है भारत
अब तक आपने इसकी खायिसत के बारे में जाना अब आपको इस रणनीतिक मायने भी बताते हैं. हिंद महासागर में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के चलते विक्रांत रणनीतिक हितों के लिए बेहद जरूरी है. इसके आने के बाद भारत की समुद्री ताकत और बढ़ेगी. इस आईएसी का स्वदेशी निर्माण आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के लिए सबसे बड़ा उदाहरण है.