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India Pakistan Indus Water Treaty: भारत का पाकिस्तान को अल्टीमेटम…आखिर क्या है सिंधु जल संधि….क्या हैं इसके मायने…जानिए इसकी पूरी कहानी

Indus Water Treaty: सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान (India Pakistan Sindhu water Treaty) के बीच 1960 में हुआ था. ये संधि सिंधु नदी (Indus River) समेत 6 नदियों के बंटवारे को लेकर है. अब भारत इस समझौते में बदलाव करना चाहता है. इसको लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा है.

Sindhu Water Treaty India Pakistan (Photo Credit: Getty Images) Sindhu Water Treaty India Pakistan (Photo Credit: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • सिंधु जल संधि 1960 में हुई थी

  • सिंधु नदी पाकिस्तान की लाइफ लाइन है

Indus Water Treaty Indo Pak: भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) एक बार फिर आमने-सामने है. इस बार वजह है सिंधु जल संधि. भारत ने हाल ही में सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) की समीक्षा और संशोधन को लेकर पाकिस्तान को नोटिस भेजा था. पाकिस्तान ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उनके लिए ये जल संधि बेहद महत्वपूर्ण है. उम्मीद करता है भारत भी इस जल संधि के तहत किए गए समझौते के प्रावधानों का पालन करेगा.

भारत ने इससे पहले 2023 में भी सिंधु जल संधि पर बातचीत करने को लेकर नोटिस भेजा था. तब पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया था. इस बार भारत सिंधु जल संधि में संशोधन करने का मन बना रहा है.

सिंधु जल समझौते के आर्टिकल X।।(3) के अनुसार,  हितों को देखते हुए इस संधि के समझौते में समय-समय पर बदलाव किया जा सकता है. भारत इसी आर्टिकल के तहत सिंधु जल समझौते में बदलाव करने की मांग कर रहा है.

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भारत क्यों चाहता है बदलाव?
सिंधु जल समझौते में बदलाव कराने को लेकर भारत का कहना है कि 1960 से अब तक हालात काफी बदल गए हैं. भारत का कहना है कि तब से लेकर अब तक आबादी काफी बढ़ी है. इसकी वजह से पानी की जरूरत भी बड़ी है.

भारत आतंकवाद की वजह से भी इस संधि में संशोधन कराना चाहता है. सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है. ऐसे में भारत मानता है कि सिंधु जल समझौते में बदलाव की जरूरत है.

सिंधु नदी
सिंधु जल समझौता सिंधु भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु समेत 6 नदियों के बंटवारे को लेकर है. सिंधु नदी इंडस वैली का एक बेहद अहम हिस्सा है. ये नदी तिब्बत में मानसरोवर लेक के पास निकलती है. इसकी सहायक नदियों में झेलम, चिनाब, रावी और ब्यास शामिल हैं.

आजादी के बाद पाकिस्तान के वेस्ट पंजाब के इलाके के किसानों को खेती के लिए पानी की कमी से जूझना पड़ रहा था. लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सतलुज और रावी से पानी लेना था. ये दोनों नदियां भारत में हैं. इन पर दावों को लेकर भारत और पाकिस्तान में विवाद बना रहा.

क्या है सिंधु जल समझौता?
आखिरकार वर्ल्ड बैंक के प्रयासों के चलते दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ. 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर साइन किए. इस संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों का सारा पानी भारत को बिना किसी शर्त का मिलेगा.

सिंधु जल समझौते के आर्टिकल ।।(1) के मुताबिक, भारत से शुरू होने वाली पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को मिलेगा. इन नदियों में से 80% पानी पाकिस्तान को मिलेगा और सिर्फ 20 फीसदी पानी भारत के लिए होगा.

भारत के लिए क्यों है अहम?
पाकिस्तान सिंधु जल समझौते में बदलाव नहीं करना चाहता है. सिंधु नदी पाकिस्तान की लाइफ लाइन है. भारत से निकलकर सिंधु नदी पाकिस्तान में जाती है और फिर अरब सागर में मिलती है. पाकिस्तान के बड़े हिस्से में सिंधु नदी सिंचाई का जरिया बनती है.

इस समझौते के मुताबिक, भारत की इन नदियों पर बिजली बना सकते हैं लेकिन इससे नदियों के रास्ते और पानी के बहाव में कोई कमी नहीं होनी चाहिए. 

भारत बॉर्डर पर किशनगंगा हाइ़ड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बना रहा है. ये प्रोजेक्ट किशनगंगा नदी पर बनना है जो झेलम की सहायक नदी है. किशनगंगा भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर है. भारत में इस नदी को किशनगंगा कहते हैं और पाकिस्तान में इस नदी का नाम नीलम हो जाता है.

किशनगंगा हाइ़ड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Kishanganga Hydroelectric Project) को लेकर पाकिस्तान सिंधु जल समझौते का अड़ंगा लगा रहा है. पाकिस्तान का मानना है कि इस परियोजना से किशनगंगा नदी का रास्ता और बहाव बदल जाएगा. ऐसे प्रोजेक्ट्स को बिना किसी रुकावट के पूरा करने के लिए भारत सिंधु जल समझौते में बदलाव करना चाहता है.