हाल ही में INS विशाखापत्तनम को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. जिससे नौसेना की ताकत में काफी बढ़ोतरी हुई है. और अब महासागर की गहराई में भारत की ताकत चौगुनी करने के लिए INS वेला नौसेना में शामिल हो रहा है.
INS वेला कलवरी श्रेणी की चौथी पनडुब्बी है. 25 नवंबर को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह इसे मुंबई डॉकयार्ड से नौसेना बेडे में शामिल करेंगे. इससे पहले कलवरी श्रेणी की तीन पनडुब्बियां INS कलवरी, खंडेरी और करंज कमीशन हो चुकी हैं.
पनडुब्बी के बारे में ‘वेला’ के कप्तान अनीश मैथ्यू ने बताया कि यह सभी बंदरगाहों और समुद्री ट्रायल्स पूरे कर चुकी है. सभी परीक्षणों में यह उम्मीदों पर खरी उतरी है. मैथ्यू के मुताबिक यह पनडुब्बी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अहम कड़ी है.
क्या है INS वेला की खासियत:
INS वेला 221 फीट लंबा, 40 फीट ऊंचा, और 19 फीट गहरा है. इसका वजन 1565 टन है. यह पनडुब्बी स्पेशल स्टील से बनी है और हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ के कारण यह समुद्र में गहराई में जाकर काम करने की क्षमता रखती है. साथ ही स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारण यह दुश्मन के रडार की पकड़ से भी बच शक्ति है.
आईएनएस वेला डीजल इंजन और बैटरी से काम करती है. इस के भीतर 360 बैटरी सेल्स है. प्रत्येक बैटरी सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है. इसके भीतर दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन है. यह पनडुब्बी किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है.
इस तरह करती है काम:
आईएनएस वेला 45-50 दिनों के सफर पर जा सकता है. यह सबमरीन 350 मीटर तक की गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है. इसे साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है क्योंकि यह एडवांस्ड हथियारों से लैस है जो युद्ध के दौरान आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है.
आईएनएस वेला में 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गयी है, जिनसे टारपीडो को फायर किया जाता है. इसमे एक बार में या तो अधिकतम 12 टारपीडो आ सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39 ले जाया जा सकता है. यह माइंस बिछाने में भी सक्षम है.
यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है. बताया जा रहा है कि इस पनडुब्बी को मेक इन इंडिया के तहत एमडीएल में तैयार किया गया है.
(मुंबई से GNT संवाददाता पारस की रिपोर्ट)