भारत की सशस्त्र सेनाओं में विक्रांत (INS Vikrant) नाम बेहद सम्मान से लिया जाता है. इसके पीछे 50 साल पुरानी वो विजयगाथा है जिसकी याद में भारत इन दिनों स्वर्णिम विजय वर्ष मना रहा है. बात 1971 के युद्ध की है. तब ज़मीन पर लड़ाई के बीच ही पाकिस्तान ने पानी में जंग का मोर्चा खोलते हुए अपनी पनडुब्बी गाज़ी (PNS Ghazi) को समुद्र में उतार दिया था. लेकिन आईएनएस राजपूत (INS Rajput) ने समुद्र में गाज़ी की कब्र बना दी और बाद में आईएनएस विक्रांत के मदद से भारतीय सेना ने वॉक्स बाज़ार, चिटगांव और खुलना के पोर्ट तबाह कर दिए. इस हमले में पाकिस्तान की रीढ़ टूट गई.
इससे पहले 1965 के युद्ध में भी विक्रांत पाकिस्तान के निशाने पर रहा लेकिन पाकिस्तान इसे छू भी नहीं पाया. अब विक्रांत अपने छोटे भाई आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) के साथ मिलकर भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए एक बार फिर से तैयार है. ये दोनों मिलकर समंदर में हिंदुस्तान की ताकत का ऐसा घेरा बनाएंगे जिसमें दाखिल होने की हिम्मत कोई दुश्मन नहीं कर पाएगा.
विक्रांत.... यानि.... साहसी.... प्रतापी.... तेजस्वी. INS विक्रांत का motto है - जयेम सं युधि स्पृधः यानि 'मैं उसको हराऊंगा जो मुझसे युद्ध करेगा'. जब नाम ही हो विक्रांत तो उद्देश्य केवल यही हो सकता है.
1971 की वो जीत और गाजी का समंदर में दफन हो जाना
ये भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत का तेज ही था जो 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी नौसेना को भारत की जलसीमा तक ले आया था. 1971 के युद्ध में भी आईएनएस विक्रांत ने अहम भूमिका निभाई थी. पाकिस्तान ने भारत के इस नायाब एयरक्राफ्ट कैरियर को डुबोने के लिए अपनी सबसे घातक पनडुब्बी गाज़ी को भेजा था. लेकिन पाकिस्तान की मंशा का पता चलते ही भारत ने आईएनएस विक्रांत का रास्ता बदल दिया.
पाकिस्तान की पनडुब्बी गाज़ी का मुकाबला करने के लिए भारत ने आईएनएस राजपूत को भेज दिया. पाकिस्तान भारत की इस रणनीति को समझ नहीं पाया आखिरकार आईएनएस राजपूत ने पाकिस्तान की पनडुब्बी गाजी को हमेशा के लिए समंदर में दफन कर दिया.
1971 के युद्ध में मिली जीत की खुशी में नौसेना हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाती है. इन दिनों भारत उस शानदार जीत की 50वीं सालगिरह मना रहा है. 71 के युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान के लिए विक्रांत के अधिकारियों को 2 महावीर चक्र और 12 वीर चक्र से नवाज़ा गया था. करीब 36 साल तक सेवा देने के बाद 1997 में आईएनएस विक्रांत ने संन्यास ले लिया था.
अब उसी आईएनएस विक्रांत की जगह देश में बना नया विक्रांत लेने को तैयार है. नेवी ने अपने पुराने INS विक्रांत की याद में इस नए एयरक्राफ्ट कैरियर को भी विक्रांत ही नाम दिया है. नेवी का मानना है कि ये INS विक्रांत का पुनर्जन्म है.
इन एयरक्राफ्ट ने दिखाई है समुंद्र में भारत की ताकत
आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत भारत का चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर है. पहले विक्रांत के बाद 1987 में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. लेकिन समंदर में 30 साल तक सेवा देने के बाद 2017 में आईएनएस विराट ने संन्यास ले लिया था.
आईएनएस विराट की विदाई से पहले, भारतीय जलसीमा की रक्षा की जिम्मेदारी आईएनएस विक्रमादित्य ने संभाली थी. आईएनएस विक्रमादित्य को नौसेना ने 2013 में रूस से खरीदा था. आईएनएस विक्रमादित्य समंदर में भारत की ताकत है. आईएनएस विक्रमादित्य की अहमियत को समझते हुए इसकी सुरक्षा का खास ख्याल रखा जाता है. जब आईएनएस विक्रमादित्य समंदर में चलता है तो इसके आगे और पीछे कई युद्धपोत इसकी सुरक्षा करते हैं. आईएनएस विक्रमादित्य पर कई एयरक्राफ्ट और दूसरे हथियार हमेशा दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं.
इन हीरोज़ की बदौलत है भारतीय नौसेना सबसे ताकतवर
अपने इन्हीं योद्धाओं की वजह से भारतीय नौसेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली नौसेनाओं में गिना जाता है. भारतीय नौसेना के पास फिलहाल कुल 295 युद्धपोत, एक एयरक्राफ्ट कैरियर, 11 विध्वंसक पोत और 15 पनडुब्बियां मौजूद हैं. इनके साथ साथ 139 निगरानी करने वाले जहाज भी भारत की सरहदों की रक्षा में जुटे हैं. इस बेड़े में आईएनएस विक्रांत के जुड़ने के बाद नौसेना की ताकत में और इज़ाफ़ा हो जाएगा. ये विशालकाय और ताकतवर योद्धा जब शत्रु से लोहा लेने समंदर की लहरों पर उतरेगा तो हिंदुस्तान की ताकत का परचम पूरी दुनिया में लहराएगा.