हौसला और जुनून हो तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है. राजस्थान के एक छोटे से गांव के एक मजदूर के बेटे ने इसे सच कर दिखाया. शुभम नरवाल नाम के इस लड़के ने एनडीए की परीक्षा पास की है. शुभम की मां मनरेगा में मजदूरी करती है. जबकि पिता की कैंसर से मौत हो चुकी है. शुभम अपने गांव का पहला ऐसा लड़का है, जो नेवी में अधिकारी बनने जा रहा है. शुभम ने उन लड़कों के लिए एक नजीर पेश की है, जो अपनी ज़िंदगी में कामयाब होना चाहते हैं, लेकिन गरीबी के चलते ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
मनरेगा मजदूर के बेटे का कमाल-
शुभम नरवाल राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक गांव के रहने वाले हैं. उनका अब तक का जीवन गरीबी में बीता है. उनको बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा. उनकी मां ने मनरेगा में मजदूर के तौर पर काम किया है. उनकी मां अनपढ़ हैं. लेकिन उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी. उन्होंने खुद मजदूरी की, लेकिन बेटे को अंग्रेजी मीडियम में दाखिला दिलाया. शुभम पढ़ाई के लिए 15 किलोमीटर बस से आते-जाते थे.
कैंसर से पिता का निधन-
शुभम नरवाल के पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. उन्होंने एनआईटी जयपुर से पढ़ाई की थी. उनका निधन हो चुका है. शुभम की दो बहनें हैं. साल 2015 में उनके पिता कैंसर से जंग हार गए. शुभम नेवी में अधिकारी बनने वाले अपने गांव के पहले लड़के हैं. शुभ ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया. उन्होंने बताया कि उनकी मां ने उनको इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़ाई कराई.
कोचिंग में एडमिशन के लिए नहीं थे 3 हजार रुपए-
रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर ने सोशल मीडिया पर शुभम नरवाल का एक इंटरव्यू पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने अपनी कहानी बताई है. शुभम ने बिना किसी कोचिंग के एनडीए पास किया है. यश मोर ने बताया कि शुभम चंडीगढ़ की एक एकेडमी में कोचिंग लेने गया था. लेकिन 3 हजार रुपए नहीं होने की वजह से एडमिशन नहीं मिला. शुभम रोते हुए घर लौटा था.
नेवी में अफसर बनेंगे शुभम-
इंटरव्यू में शुभम बताते हैं कि वो राजस्थान के झुंझुनू के एक छोटे से गांव से हैं. झुंझुनू को सैनिकों की भूमि कहा जाता है. शुभम ने बताया कि वो अपने गांव से आने वाले पहले अधिकारी हैं. वो बताते हैं कि मैंने कभी समंदर नहीं देखा है, लेकिन अब उनको समंदर में काम करना होगा.
ये भी पढ़ें: