21 जून को न्यूयॉर्क में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में 180 देशों से लोगों के भाग लेने की उम्मीद है. इन लोगों में राजनयिक, नेता, कलाकार, प्रमुख सांस्कृतिक हस्तियां, शिक्षाविद और उद्यमी शामिल होंगे.
पीएम मोदी, जो 21-25 जून तक संयुक्त राज्य अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा पर होंगे, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच उत्तरी लॉन में नौवें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करेंगे. हालांकि, अब सवाल यह है कि योग इतना लोकप्रिय कैसे हुआ? यह कहां से आया है, और आज यह एक ग्लोबल इवेंट में कैसे बदल गया है?
कैसे हुई योग की शुरुआत
आज दुनिया भर में बहुत से लोग योग करते हैं और उनके लिए योग लाइफस्टाइल का एक हिस्सा है. "योग" शब्द की उत्पत्ति प्राचीन संस्कृत भाषा में हुई है और इसका अर्थ है "जोड़ना, जुड़ना, या दोहन करना." फ्रांसीसी इतिहासकार बर्नार्ड सर्जेंट के अनुसार, यह अनुशासन को रेखांकित करने वाली धारणा है, जो इसे प्रैक्टिस करने वाले इंसान की बुद्धि को यूनिवर्स या ब्रह्मांड से जोड़ती है. योग पहली बार प्राचीन ग्रंथों जैसे पवित्र हिंदू महाकाव्य भगवद गीता में प्रकट हुआ, जो ईसा पूर्व पांचवीं और दूसरी शताब्दी के बीच लिखा गया था.
भारतीय विशेषज्ञ तारा माइकल ने अपने कई साक्षात्कारों में कहा है कि योग की उत्पत्ति मनुष्य के असंतुष्ट भाव से हुई. सही मायनों में योग करने वाले मनुष्य जीवन में शांति, सुकून और संतुष्टि को हासिल करने की तरफ बढ़ते हैं. हालांकि, कुछ समय पहले तक योग सिर्फ एक एक्सरसाइज का तरीका बनकर रह गया था. हालांकि, पिछले कुछ सालों से तस्वीर बदल रही है और एक बार फिर लोग योग के सहारे अध्यात्म का रास्ता अपना रहे हैं.
पश्चिमी देशों से योग का रिश्ता
पश्चिम के साथ योग का संबंध 19वीं सदी में शुरू हुआ था. कुछ लोग हेनरी डेविड थोरो को अमेरिका में पहला योगी मानते हैं, जबकि अन्य बंगाली भिक्षु और योग गुरु स्वामी विवेकानंद को देखते हैं, जो 1800 के अंत में अमेरिका पहुंचे और 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज की. द वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, विवेकानंद की शिक्षाओं ने बाद में जेडी सैलिंगर, लियो टॉल्स्टॉय और जॉर्ज हैरिसन जैसे सांस्कृतिक आइकन को प्रभावित किया.
विवेकानंद ने अनुशासन को पश्चिम के अनुकूल बनाने के लिए योग के तर्कसंगत और वैज्ञानिक गुणों पर बल दिया. उनकी पुस्तक राज योग एक आधुनिक और अंतर्राष्ट्रीय योग की नींव रखती है. लगभग एक दशक बाद, एक यूरोपीयन की बेटी इंद्रा देवी केने अमेरिका की मुख्यधारा में योग की शुरुआत की.जिन्होंने अपने योग के जुनून को चीन, अर्जेंटीना और रूस में फैलाया, 1947 में, सुश्री देवी ने वेस्ट हॉलीवुड में एक योग स्टूडियो खोला, जहां उनके छात्रों में ग्लोरिया स्वानसन और ग्रेटा गार्बो जैसे फ़िल्मी सितारे भी थे.
1970 के दशक की फिटनेस और व्यायाम में बूम आया - यह समय था आध्यात्मिकता और शारीरिक फिटनेस का और योग ने धीरे-धीरे आधुनिक रूप लिया. बाद में, योग पर और रिसर्च हुआ और सामने आया कि इसे प्रैक्टिस करने वालों को शारीरिक और मानसिक रूप से फायदा होता है. पश्चिमी ग्रंथों ने योग मुद्राओं का विस्तार करना शुरू किया, जिन्हें "आसन" भी कहा जाता है.
कैसे बना ग्लोबल इवेंट
1960 और 1970 के दशक के सांस्कृतिक बदलाव हो रहे थे लोग एक-दूसरे की संस्कृति को समझ रहे थे और अपना रहे थे. जैसा कि द बीटल्स और भारतीय गुरु महर्षि महेश के बीच विचारों का आदान-प्रदान हो रहा था. लंदन में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के मार्क सिंगलटन कहते हैं, 1980 और 1990 के दशक में योग को एक आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में लोकप्रिय बनाया गया. यह कहना मुश्किल है कि आज दुनिया भर में कितने लोग योग का अभ्यास करते हैं, हालांकि कुछ का अनुमान है कि यह लगभग 200 से 300 मिलियन तक हो सकता है. बहुत सी स्टडीज दर्शाती हैं कि योग से चिंता, अवसाद और नींद संबंधी विकारों से निपटा जा सकता है.
बताया जाता है कि भारत में योग का अभ्यास सबसे पहले केवल धार्मिक तपस्वियों द्वारा किया जाता था, और इसका स्पष्ट संदर्भ 2,500 साल पहले के ग्रंथों में पाया जा सकता है। उनके लिए, योग "पूरी तरह से स्थिरता" के बारे में था, न कि आज की मूवमेंट्स की तरह था. समय के साथ अभ्यास विकसित हुए, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के हिस्से के रूप में पिछले 100 वर्षों में योग में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, और विशेष रूप से शारीरिक आसन अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं. ऐसे संत जो कई दिनों तक एक मुद्रा में बैठे रहते हैं, आज भी भारत में मौजूद हैं. लेकिन भारतीयों द्वारा योग में बड़े पैमाने पर भागीदारी केवल 20वीं सदी में ही आई, जैसा कि बाकी दुनिया में हुआ.
वर्ल्ड हेरिटेज है योग
2014 में सत्ता में आने के बाद से, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को दुनिया में भारत के उत्कर्ष के प्रतीक के रूप में लिया. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए 2015 से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में प्रतिष्ठित किया. यूनेस्को ने 2016 में "स्वास्थ्य और चिकित्सा से लेकर शिक्षा और कला तक" भारतीय समाज पर इसके प्रभाव की मान्यता में योग को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया.