

इसी साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले ही नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच जुबानी तकरार शुरू हो गई है. हाल ही में बिहार विधानसभा में दोनों के बीच ऐसी ही तकरार देखने को मिली.
बिहार विधानसभा के बजट सेशन में सीएम नीतीश कुमार ने तेजस्वी से कहा कि 1990 में उनके पिता लालू यादव को सीएम बनवाया था. नीतीश कुमार ने कहा- तुम्हारे पिता को हम ही बनाए थे. तुम्हारे जात वाले ही कहते थे कि हम क्यों उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं? हमने तो उसी आदमी को बना दिया.
बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया. क्या वाकई में नीतीश कुमार ने लालू यादव को सीएम बनवाया था? आइए लालू यादव के सीएम बनने की कहानी जानते हैं.
कर्पूरी ठाकुर के बाद लालू
फरवरी 1988 में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया. बिहार विधानसभा में उनकी जगह लेने की होड़ लग गई. उस समय लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों लोकदल पार्टी में थे. पार्टी में लालू यादव से कई सीनियर नेता थे. उस समय लालू यादव ने खुद को कर्पूरी ठाकुर का उत्तराधिकारी पेश करने की कोशिश की.
चौधरी देवी लाल शरद यादव को नेता विपक्ष बनाना चाहते थे. अनूप लाल यादव लगभग नेता प्रतिपक्ष बनने ही वाले थे लेकिन शिवानंद तिवारी और नीतीश कुमार ने लालू का समर्थन कर दिया. आखिरी में मार्च 1989 में लालू यादव नेता विपक्ष बन गए.
दिल्ली से लौटे बिहार
बिहार विधानसभा चुनाव के चार महीने पहले नवंबर 1989 में लोकसभा चुनाव हुए थे. लालू यादव ने नेता विपक्ष से इस्तीफा दिया और छपरा से चुनाव लड़ा. सांसद बनकर लालू यादव दिल्ली पहुंच गए. चार महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. प्रदेश में जनता दल की लहर चल रही थी. बिहार में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया.
1990 में बिहार विधानसभा चुनाव 324 सीटों पर हुए. इसमें से 132 सीटें जनता दल के खाते में आईं. अपने सहयोगी पार्टी के बदौलत बहुमत भी हासिल कर लिया. अब बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा? इस पर बहस होने लगी. सभी नेता अपनी दावेदारी पेश करने लगे. लालू यादव जिन्होंने चुनाव भी नहीं लड़ा था, वो भी मुख्यमंत्री के लिए बिहार भागे-भागे आए.
राह नहीं आसान
लालू यादव के सीएम बनने की राह आसान नहीं थी. बिहारी ब्रदर्स किताब के अनुसार, प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह रामसुंदर दास को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. रामसुंदर दास की ताजपोशी करने के लिए वी पी सिंह ने अजीत चौधरी को पटना भेज दिया. रामसुंदर दास की दावेदारी मजबूत करने के लिए जॉर्ज फर्नांडीज और सुरेन्द्र मोहन को भी पटना भेजा.
लालू यादव किसी भी हालत में मुख्यमंत्री की कुर्सी आसानी से छोड़ना नहीं चाहते थे. वो चुनाव कराने के मूड में थे. लालू यादव के साथ पार्टी के कई नेताओं का साथ था. इनमें नीतीश कुमार भी थे. लालू यादव चुनाव जीतने के लिए एक बड़े नेता के पास पहुंचे.
CM के लिए चुनाव
लालू यादव ने मुख्यमंत्री बनने के लिए चन्द्रशेखर की मदद मांगी. बिहारी ब्रदर्स में इस किस्से का जिक्र है. लालू ने चन्द्रशेखर से कहा, यह राजा हमारी संभावनाओं को खत्म करने पर तुला हुआ है. हमारी मदद कीजिए नहीं तो वी. पी. सिंह अपने आदमी को बिहार का मुख्यमंत्री बना देगा.
चन्द्रशेखर और वीपी सिंह में 36 का आंकड़ा था. उन्होंने लालू को मदद की वादा किया. विधायक दल के नेता को चुनने के लिए मीटिंग हुई. विधायक दल के नेता के लिए दो उम्मीदवार थे, लालू यादव और रामसुंदर लेकिन आखिरी वक्त में रघुनाथ झा भी इस दौड़ में शामिल हो गए.
रघुनाथ झा के मैदान में होने से लालू यादव को फायदा हुआ. मुख्यमंत्री पद के चुनाव में रामसुंदर दास को 56 वोट मिले, लालू यादव को 59 वोट मिले और रघुनाथ झा को 14 वोट मिले. रघुनाथ झा का मकसद पूरा हुआ. इस तरह से लालू यादव मुख्यमंत्री का चुनाव जीत गए. अजीत चौधरी और राज्यपाल की वजह से शपथ लेने में देरी जरूर हुई लेकिन आखिर में 10 मार्च 1990 को लालू प्रसाद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.