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कश्मीर के किसानों की जिंदगी बदल रही है कमल ककड़ी और लैवेंडर फार्मिंग, कृषि के आधुनिक तरीके अपना रहे हैं किसान

जम्मू और कश्मीर में बहुत से किसान कृषि के आधुनिक तरीेके अपनाकर मुनाफा कमा रहे हैं. और देश के दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.

Lavender and Nadru (Photo: Twitter) Lavender and Nadru (Photo: Twitter)
हाइलाइट्स
  • डल झील में होती है नदरू की खेती 

  • लैवेंडर की खेती ने बदली किस्मत 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' के अपने 99वें एपिसोड में श्रीनगर में कमल के तने यानी की कमल ककड़ी या नदरू की खेती और जम्मू क्षेत्र के डोडा जिले की भदरवाह तहसील में लैवेंडर की खेती के लिए एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना का उल्लेख किया.

पीएम मोदी ने डल झील का जिक्र करते हुए बताया कि यह झील पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है. क्योंकि वहां उन्हें गुलाबी कमल देखने को मिलते हैं. साथ ही, यह कश्मीर के किसानों के लिए रोजगार का अच्छा साधन हैं. इन्हीं, कमल के तनों की बिक्री करके किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. 

डल झील में होती है नदरू की खेती 
कमल के तने को स्थानीय भाषा में नदरू कहते हैं और यह कई तरह के कश्मीरी व्यंजन बनाने में इस्तेमाल होता है. हालांकि, इसकी अन्य जगहों पर भी अच्छी मांग है. जिसे देखते हुए कश्मीर के 250 किसानों ने मिलकर अपना किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाया है. और ये मिलकर नदरू की खेती कर रहे हैं. 

नदरू में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन-सी और बी-6, पोटैशियम, थायमिन, कॉपर और मैंगनीज और फाइबर आदि. नदरू लोगों को डायबिटीज, थायरॉइड और खांसी जैसी परेशानियों में मदद करता है. इसलिए नदरू की मांग बढ़ रही है. ऐसे में, कश्मीर के किसान FPO बनाकर साथ में काम कर रहे हैं. 

आपको बता दें कि इस FPO को 'डल लेक लोटस स्टेम फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड' कहा जाता है, जिसमें लगभग 1000 लोग कार्यरत हैं और दिसंबर 2022 में स्थापित किया गया था. हाल ही में, उन्होंने नदरू की दो खेप दुबई भेजी हैं. 

लैवेंडर की खेती ने बदली किस्मत 
नदरू की खेती के बारे में बात करने के बाद, पीएम ने उन किसानों के बारे में बात की जो लैवेंडर उगा रहे हैं. दरअसल,  कश्मीरी किसानों का एक और प्रयास सफलता की खुशबू बिखेर रहा है. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में एक छोटा सा कस्बा भदरवाह है. यहां के किसान परंपरागत रूप से मक्का उगाते थे, लेकिन कुछ किसानों ने कुछ नया करने का फैसला किया.

उन्होंने सरकार के अरोमा मिशन से जुड़कर फूलों की खेती करना शुरू किया. इसके तहत करीब 2500 किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है. और आज लैवेंडर के साथ-साथ उनकी सफलता की भी खुशबू फैल रही है. अब कश्मीर को केसर के साथ-साथ लैवेंडर की खेती के लिए भी जाना जाएगा. 

आपको बता दें कि लैवेंडर का उपयोग परफ्यूम, इत्र आदि के साथ-साथ कॉस्मैटिक प्रोडक्ट्स में भी किया जाता है. इसलिए लैवेंडर की अच्छी-खासी मांग है.