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Jan Suraaj Party के चेहरे बने मनोज भारती और पवन वर्मा जैसे लोग... IFS अफसर, राजनयिक से बने राजनेता... आखिर क्यों प्रशांत किशोर ने पीछे रहकर इन्हें किया आगे

प्रशांत किशोर की राजनीतिक पार्टी, जन सुराज पार्टी (JSP) के कार्यकारी अध्यक्ष, मनोज भारती IFS अफसर रह चुके हैं. उन्होंने कई अन्य देशों में बतौर डिप्लोमेट अपनी सेवाएं दी हैं और अब जन सुराज पार्टी में बड़ा चेहरा बनकर सामने आ रहे हैं.

Manoj Bharati and Pavan Varma of Jan Suraaj Party Manoj Bharati and Pavan Varma of Jan Suraaj Party

चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार नें अपना नया राजनीतिक संगठन, जन सुराज पार्टी (JSP) लॉन्च किया है. इस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में रिटायर्ड राजनयिक और IIT ग्रेजुएट, मनोज भारती को नामित किया गया है. जेएसपी के प्रमुख सदस्यों में से एक मनोज भारती बिहार के मधुबनी के निवासी हैं और उन्होंने IIT कानपुर से बीटेक और IIT दिल्ली से एमटेक की डिग्री ली. 

लिखी हैं कई किताबें 
साल 1998 में UPSC परीक्षा पास करके IFS अधिकारी बने. वह यूक्रेन, बेलारूस, तिमोर-लेस्ते और इंडोनेशिया में भारत के राजदूत थे. तिमोर लेस्ते में राजदूत नियुक्त होने से पहले, भारती ने विदेश मंत्रालय में सचिव-प्रशासन के रूप में कार्य किया. उन्होंने सितंबर 2015 से अक्टूबर 2018 तक यूक्रेन में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया. 

यूक्रेन में साल 2017 में उन्होंने तारास शेवचेंको नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कीव से इंटरनेशनल रिलेशन (ऑनर्स) में मास्टर डिग्री भी हासिल की है. उन्होंने कई किताबें भी लिखीं हैं. मनोज भारती कई भाषाएं भी जानते हैं. बताया जाता है कि उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी के साथ-साथ बंगाली, रूसी और तुर्की आदि का भी ज्ञान है. 

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हालांकि, JSP में मनोज भारत इस तरह के बैकग्राउंड के अकेले नेता नहीं हैं. प्रशांक किशोर की पार्टी में ज्यादातर इसी तरह के लोगों को प्राथमिकता दी गई है. मनोज भारती के अलावा, पार्टी के सदस्यों में पवन वर्मा शामिल हैं और वह भी पूर्व-IFS ऑफिसर हैं. 

कौन हैं पवन वर्मा 
पवन वर्मा पूर्व IFS रहे हैं और विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने साल 2013 तक फॉरेन सर्विस में अपनी सेवाएं दीं. रिटायरमेंट के बाद वह बिहार की राजनीति में शामिल हुए थे. सबसे पहले वह नीतीश कुमार के सलाहकार बने और फिर जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता. पवन वर्मा जून, 2014 से जुलाई 2016 तक राज्य सभा के सदस्य रहे. राजनीतिज्ञ के साथ-साथ वह अपने लेखन के लिए भी जाने जाते हैं. वह फिक्शन और नॉन फिक्शन किताबें लिख चुके हैं. 

एक जमाना था जब प्रशांत किशोर के साथ-साथ पवन वर्मा भी नीतीश के बेहद करीबी थे. लेकिन साल 2020 में दोनों को ही नीतीश कुमार ने जदयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया. दरअसल, जनवरी 2020 में पवन वर्मा ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नीतीश कुमार के स्टैंड पर आपत्ति जताई थी. बीजेपी के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर भी पवन वर्मा की नीतीश से नाराज़गी थी. इसके बाद, पवन ममता बनर्जी की पार्टी TMC में शामिल हुए जहां उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, उन्होंने बाद में टीएमसी भी छोड़ दी. अब वे प्रशांत किशोर के जन सुराज का हिस्सा हैं.

इनके अलावा, पार्टी में शामिल होने वाली कुछ प्रमुख हस्तियां पूर्व सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव, मोनाजिर हसन, पूर्व एमएलसी, शिक्षाविद रामबली चंद्रवंशी, पूर्व आईएएस अधिकारी आनंद मिश्रा, शैक्षणिक और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति केसी सिन्हा, वकील वाईवी गिरी, पूर्व आईपीएस अधिकारी एस के पासवान, कार्डियक सर्जन डॉ अजीत प्रधान, और पूर्व विधायक दुर्गा प्रसाद सिंह हैं. 

खुद क्यों पीछे हो गए प्रशांत किशोर 
प्रशांत किशोर ने चंपारण से शुरू करके बिहार की 3,000 किलोमीटर की पदयात्रा करने के दो साल बाद अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई, जहां महात्मा गांधी ने पहला सत्याग्रह शुरू किया था. उन्होंने कहा है कि उनका विचार लोगों को एक "नए राजनीतिक विकल्प" के लिए एकजुट करना था जो बिहार को उसके पुराने पिछड़ेपन से निजात दिला सके. उन्होंने कहा कि पार्टी पिछले दो वर्षों से सक्रिय है और हाल ही में चुनाव आयोग से इसे मंजूरी मिली है.

हालाकि, पार्टी लॉन्च पर उन्होंने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती को बनाया है. उनके इस कदम के पीछे की सोच को समझने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है कि इस कदम के पीछे बिहार का जाति समीकरण काम कर रहा है. प्रशांत किशोर ने मनोज का परिचय कराते हुए कहा कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती दलित समुदाय से आते हैं और उनकी योग्यता और काम के प्रति समर्पण को देखते हुए उन्हें अध्यक्ष चुना गया है. 

कहा जा रहा है कि मनोज भारती जैसे चेहरों को आगे करके प्रशांत किशोर खुद पीछे हो गए हैं. प्रशांत ने कहा कि अगर बिहार को विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था चाहिए तो अगले 10 साल में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. उन्होंने सत्ता में आने पर बिहार में शराबबंदी तुरंत खत्म करने का भी वादा किया है. जन सुराज पार्टी के अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की संभावना है.