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Jnanpith Award 2023: जगद्गुरु Rambhadracharya और गीतकार Gulzar को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार, कैसे होता है चयन, क्या है इतिहास, यहां जानिए 

उर्दू के मशहूर गीतकार व कवि गुलजार को साहित्य अकादमी और दादा साहब फाल्के पुरस्कार पहले ही मिल चुके हैं. जगद्गुरु रामभद्राचार्य पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके हैं. अब इन दोनों को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

Rambhadracharya and Gulzar Rambhadracharya and Gulzar
हाइलाइट्स
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य कई भाषाओं के हैं जानकार

  • 1961 में हुई थी ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना

2023 का ज्ञानपीठ पुरस्कार संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और मशहूर गीतकार व कवि गुलजार को दिया जाएगा. ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को घोषणा की इन दोनों हस्तियों को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. गोवा के लेखक दामोदर मौजो को 2022 के लिए यह प्रतिष्ठित परस्कार मिला था.

भारतीय साहित्य का है सर्वोच्च पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार है. श्री साहू शांति प्रसाद जैन ने इस पुरस्कार की 1961 में स्थापना की थी. उन्होंने इस पुरस्कार की स्थापना भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने और भारतीय लेखकों को सम्मानित करने के लिए की थी. इसे देश का कोई भी नागरिक प्राप्त कर सकता है, जो 8वीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो. इसे पहली बार 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए दिया गया था. 

क्या है चयन की प्रक्रिया 
विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक और भाषायी संस्थाओं की ओर से ज्ञानपीठ पुरस्कार के नामांकन के लिए नाम भेजे जाते हैं. प्राप्त प्रस्ताव संबंधित भाषा परामर्श समिति की ओर से जांचे जाते हैं. इसके बाद पुरस्कार किसको दिया जाए, इसका चयन किया जाता है. पुरस्कार के रूप में धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है.  1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि दी गई थी. इसे साल 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया. साल 2012 से ज्ञानपीठ पुरस्कार की राशि को बढ़ाकर 11 लाख रुपए कर दिया गया.

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कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य 
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को यूपी के जौनपुर जिले के खांदीखुर्द गांव में हुआ था. इनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र है. वह रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. जन्म के 2 महीने बाद ही आंखों की रोशनी गंवाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत भाषा में उनके विशेष योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है. 

चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य, एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. वे 22 भाषाएं बोलते हैं और संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं के रचनाकार हैं. रामभद्राचार्य की चर्चित रचनाओं में श्रीभार्गवराघवीयम्, आजादचन्द्रशेखरचरितम्, अष्टावक्र, लघुरघुवरम्, सरयूलहरी, कुब्जापत्रम् और भृंगदूतम् शामिल हैं. 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. 

कौन हैं गुलजार
गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 को पाकिस्तान के झेलम जिले के दीना में हुआ था. गुलजार का पूरा नाम संपूरण सिंह कालरा है. पिता का नाम माखन सिंह कालरा और मां का नाम सुजान कौर था. गुलजार का परिवार विभाजन के बाद भारत आ गया था. शुरू में गुलजार ने मुंबई के वर्ली में कार मैकेनिक का काम किया. इसके बाद अभिनेत्री राखी से विवाह किया. गुलजार की प्रमुख कृतियों में एक बूंद चांद, पुखराज, चौरस रात, कुछ और नज़्में, रवि पार, यार जुलाहे हैं.

गुलजार ने फिल्म गुड्डी, आनंद, बावर्ची, नमक हराम, दो दूनी चार, खामोशी, सफर की कहानी लिखी. गुलजार ने परिचय, कोशिश, अचानक, आंधी, खुश्बू, मौसम, अंगूर, लिबास, माचिस जैसी फिल्में भी बनाई है. फिल्म कोशिश, मौसम और इजाजत के लिए 3 नेशनल अवार्ड और 47 फिल्म फेयर अवार्ड उन्हें मिले चुके हैं. गुलजार को साल 2004 में पद्मभूषण और 2013 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया. गुलजार को 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है. गुलजार को हिंदी सिनेमा में विशेष योगदान के लिए पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं.